कालीगंज उपचुनाव : त्रिकोणीय मुकाबले में सभी दिग्गजों की अग्निपरीक्षा, अलिफा अहमद के सामने पिता की विरासत बचाने की चुनौती
Udaipur Kiran Hindi June 06, 2025 11:42 PM

कोलकाता, 06 जून (Udaipur Kiran) । कालीगंज विधानसभा सीट पर 18 जून को होने जा रहे उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी और वाम मोर्चा समर्थित कांग्रेस के बीच कड़ा त्रिकोणीय मुकाबला होने जा रहा है। इस चुनाव को तीनों प्रमुख दलों के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई माना जा रहा है।

यह उपचुनाव तृणमूल विधायक नसीरुद्दीन अहमद के फरवरी में हुए आकस्मिक निधन के कारण कराया जा रहा है। अब उनकी बेटी अलिफा अहमद मैदान में हैं और उनका लक्ष्य 2021 में पिता द्वारा हासिल किए गए 46 हजार 987 वोटों के अंतर से भी अधिक बढ़त हासिल करना है। अलिफा को अपने पिता की लोकप्रियता, सहानुभूति लहर और अल्पसंख्यक वोटों के एकजुट होने की उम्मीद है।

हालांकि, राज्य में शिक्षा क्षेत्र में भर्ती घोटाले, 25 हजार 753 शिक्षकों और शिक्षाकर्मियों की नौकरी रद्द होने तथा सरकारी कर्मचारियों को लंबित मंहगाई भत्ते जैसे मुद्दों के कारण सत्तारूढ़ दल की राह आसान नहीं है।तृणमूल के भीतर भी यह स्वीकार किया जा रहा है कि इस बार 2021 जैसा प्रदर्शन दोहराना कठिन होगा।

वहीं, भाजपा प्रत्याशी आशीष घोष की रणनीति इन्हीं मुद्दों को जनता तक पहुंचाकर असंतोष को वोट में बदलने की है। वह अपने साफ-सुथरे छवि और स्थानीय होने के कारण लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं।

कांग्रेस उम्मीदवार काबिल उद्दीन शेख भी ‘माटी के बेटे’ की छवि के साथ मैदान में हैं। वाम मोर्चा और कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक के एकजुट होने की उन्हें उम्मीद है। यह वही कालीगंज है जहां एक समय कांग्रेस की अच्छी पकड़ रही है। 2016 में कांग्रेस के हसनुज्जमां शेख ने यहीं से जीत दर्ज की थी।

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इस सीट का फैसला लगभग 60 प्रतिशत अल्पसंख्यक मतदाताओं के रुझान पर निर्भर करता है। यदि यह वोट बैंक एकतरफा तृणमूल के पक्ष में गया, तो अलिफा की राह आसान होगी। लेकिन अगर काबिल उद्दीन शेख इस वर्ग में सेंध लगाने में कामयाब होते हैं, तो तृणमूल को कड़ी चुनौती मिल सकती है।

इतिहास पर नजर डालें तो नसीरुद्दीन अहमद ने पहली बार 2011 में कालीगंज से चुनाव जीता था, जो बंगाल में वाम शासन के 34 वर्षों के अंत और ममता बनर्जी युग की शुरुआत का प्रतीक बना। हालांकि, 2016 में उन्हें कांग्रेस से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन 2021 में वह फिर विजयी हुए।

मतदान शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने के लिए चुनाव आयोग ने 20 कंपनियां केंद्रीय सशस्त्र बलों की तैनात करने का निर्णय लिया है। चुनावी गर्मी के बीच कालीगंज में इस बार कौन बाजी मारेगा, इस पर पूरे राज्य की नजर टिकी हुई है।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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