21वीं मंजिल से छलांग! IT इंजीनियर अभिलाषा की मौत से पहले लिखा दिल दहला देने वाला नोट
UPUKLive Hindi June 07, 2025 01:42 AM

महाराष्ट्र के पुणे शहर के हिंजेवाड़ी इलाके में एक हृदयविदारक घटना ने सभी को स्तब्ध कर दिया। एक 25 वर्षीय युवती, अभिलाषा भाऊसाहेब कोथिंबिरे, ने एक आवासीय इमारत की 21वीं मंजिल से कथित तौर पर कूदकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। अभिलाषा एक प्रतिभाशाली आईटी इंजीनियर थीं, जिनका भविष्य उज्ज्वल माना जाता था। इस घटना ने न केवल उनके परिवार और दोस्तों को सदमे में डाल दिया, बल्कि समाज में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता की आवश्यकता को भी रेखांकित किया है।

सुबह की त्रासदी: क्या हुआ उस दिन?

पुलिस के अनुसार, यह घटना सुबह के करीब 4:30 बजे हिंजेवाड़ी की क्राउन ग्रीन्स सोसाइटी में हुई। सीसीटीवी फुटेज में अभिलाषा को सुबह-सुबह इमारत में प्रवेश करते और लिफ्ट के जरिए 21वीं मंजिल पर अपने अपार्टमेंट की ओर जाते देखा गया। उनके चेहरे पर कपड़ा बंधा हुआ था, जो शायद उनके मन की उथल-पुथल को दर्शाता था। सुबह 4:42 बजे के आसपास, उन्होंने इमारत से छलांग लगा दी। इस दुखद घटना ने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया।

सुसाइड नोट में छिपा दर्द

अभिलाषा के अपार्टमेंट से पुलिस को एक सुसाइड नोट मिला, जिसमें उन्होंने अपने दिल का दर्द बयां किया था। नोट में लिखा था, "मुझे माफ करें। मैं यह कदम अपनी मर्जी से उठा रही हूं। अब मेरे पास जीने की कोई वजह नहीं बची।" यह शब्द न केवल उनकी मानसिक स्थिति को दर्शाते हैं, बल्कि यह भी बताते हैं कि वह लंबे समय से किसी गहरे दुख से जूझ रही थीं। प्रारंभिक जांच में पता चला कि अभिलाषा संभवतः डिप्रेशन से पीड़ित थीं, जिसने उन्हें इस极端 कदम की ओर धकेल दिया।

मानसिक स्वास्थ्य: एक अनदेखी चुनौती

यह घटना हमें एक बार फिर मानसिक स्वास्थ्य के प्रति गंभीर होने की याद दिलाती है। आज के तेज-रफ्तार जीवन में, खासकर आईटी जैसे उच्च दबाव वाले पेशों में, लोग अक्सर तनाव और अवसाद का शिकार हो जाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि समय पर सहायता और खुलकर बातचीत इस तरह की त्रासदियों को रोक सकती है। परिवार, दोस्तों और समाज को मिलकर ऐसे लोगों का साथ देना होगा, जो चुपके-चुपके अपने दुखों से जूझ रहे हैं।

समाज से अपील: संवेदनशीलता की जरूरत

अभिलाषा की कहानी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम अपने आसपास के लोगों की भावनाओं को समझने में पर्याप्त संवेदनशील हैं? क्या हम उनके दर्द को देख पाते हैं? यह समय है कि हम न केवल अपने प्रियजनों पर ध्यान दें, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहतर संसाधनों और जागरूकता अभियानों की मांग करें। अगर कोई परेशान है, तो उसका साथ देना, उसकी बात सुनना और उसे पेशेवर मदद की सलाह देना हमारी जिम्मेदारी है।

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