क्या आलोचकों को दिया जवाब : दरअसल, भागवत ने उन आलोचकों के सवालों का जवाब दिया, जो लंबे समय से कह रहे थे कि RSS ने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग नहीं लिया था। हालांकि RSS के समर्थक हमेशा से इस बात को खारिज करते आए हैं। RSS प्रमुख ने कहा कि भारत की आजादी किसी एक की नहीं, बल्कि भारत के प्रत्येक नागरिक के समूह की मेहनत का फल है।
यह किसी एक व्यक्ति के कारण नहीं हुआ : उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन 1857 के विद्रोह से शुरू हुआ, जिसने एक संघर्ष को जन्म दिया। इसी संघर्ष के कारण भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली। उन्होंने कहा कि देश को अपनी आजादी कैसे मिली, इस चर्चा में अक्सर एक महत्वपूर्ण सच्चाई को नजरअंदाज कर दिया जाता है। यह किसी एक व्यक्ति के कारण नहीं हुआ। बल्कि 1857 के बाद पूरे देश में स्वतंत्रता संग्राम की लपटें भड़क उठीं, जिसकी वजह से आज भारत को आजादी मिली है।
भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना था उद्देश्य : RSS के आलोचकों ने एमएस गोलवलकर की बात का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन का विरोध कर उसे अस्थायी कहा था। उनका मानना था कि असली आंतरिक दुश्मनों से लड़ने की जरूरत है। आलोचकों ने कहा कि गोलवलकर का यह बयान बताता है कि उनकी प्राथमिकता अंग्रेजों से लड़ने की नहीं थी। बल्कि भारत को एक हिंदू राष्ट्र बनाना उनका उद्देश्य था, जो इसे तत्कालीन छत्र संगठन कांग्रेस के तहत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रीय आंदोलन के साथ जोड़ता है।
भागवत से पूछा गया कि RSS में सर्वोच्च पद किसका है? इस बात का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि RSS में सर्वोच्च पद सामान्य स्वयंसेवक का है। संघ में कोई एक व्यक्ति नहीं बल्कि पूरा संघ निस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा करता है। उन्होंने RSS की खूबियों और खामियों की चर्चा करते हुए कहा कि कई लोग इससे परिचित नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि जो लोग हमारे संगठन को समझने के लिए समय निकालते है, वे अक्सर कहते हैं कि वे इससे प्रभावित होते हैं और बताते हैं कि उन्होंने RSS से बहुत कुछ सीखा है। भागवत ने कहा कि RSS की ताकत उनके संगठन में काम करने वाले लोग हैं।
Edited By: Navin Rangiyal