भारतीय वायुसेना (IAF) जल्द ही तीन अत्याधुनिक जासूसी विमानों से सुसज्जित होने जा रही है। रक्षा मंत्रालय ने इस 10,000 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी देने की योजना बनाई है, जिससे IAF को दुश्मन के रडार स्टेशनों, हवाई रक्षा इकाइयों और अन्य गतिशील लक्ष्यों पर सटीक हमले करने की क्षमता प्राप्त होगी। ये इंटेलिजेंस, सर्विलांस, टारगेट एक्विजिशन और रिकॉन्सेन्स (I-STAR) विमान दिन-रात लंबी दूरी से खुफिया जानकारी जुटाने, निगरानी और लक्ष्य निर्धारण में सक्षम होंगे। रक्षा अधिकारियों के अनुसार, इस परियोजना को जून 2025 में होने वाली उच्च-स्तरीय बैठक में मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा.
I-STAR विमानों की खासियत
I-STAR (इंटेलिजेंस, सर्विलांस, टारगेट एक्विजिशन और रिकॉन्सेन्स) प्रणाली उच्च ऊंचाई पर लंबी दूरी से कार्य करती है। ये विमान हवा से जमीन पर निगरानी करने में सक्षम होंगे, जिससे भारतीय वायुसेना को दुश्मन के ठिकानों पर सटीक हमले करने में सहायता मिलेगी। ये विमान न केवल खुफिया जानकारी जुटाएंगे, बल्कि युद्ध के मैदान की वास्तविक स्थिति का विश्लेषण और प्रसार भी करेंगे। यह प्रणाली दुश्मन की गतिविधियों को ट्रैक करने और अनियमित बलों का पता लगाने के लिए मल्टी-स्पेक्ट्रल सर्विलांस तकनीक से लैस होगी.
स्वदेशी तकनीक का कमाल
इस परियोजना की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि विमानों पर लगने वाली सभी प्रणालियाँ पूरी तरह से स्वदेशी होंगी। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के सेंटर फॉर एयरबोर्न सिस्टम्स (CABS) ने इन प्रणालियों को पहले ही विकसित कर लिया है और उनका परीक्षण भी सफलतापूर्वक किया जा चुका है। अब इन प्रणालियों को तीन विमानों पर एकीकृत करना होगा, जो बोइंग और बॉम्बार्डियर जैसे विदेशी निर्माताओं से खरीदे जाएंगे। यह परियोजना भारत को अमेरिका, ब्रिटेन, इजरायल जैसे चुनिंदा देशों की सूची में शामिल करेगी, जिनके पास ऐसी उन्नत तकनीक है.
ऑपरेशन सिंदूर के बीच अहम कदम
यह परियोजना ऐसे समय में शुरू हो रही है, जब भारत और पाकिस्तान के बीच ऑपरेशन सिंदूर चल रहा है। I-STAR विमान भारतीय वायुसेना को रडार स्टेशनों, हवाई रक्षा इकाइयों और अन्य गतिशील लक्ष्यों को नष्ट करने में मदद करेंगे। ये विमान युद्ध के दौरान सटीक हमलों के लिए वास्तविक समय में खुफिया जानकारी और युद्धक्षेत्र की तस्वीर प्रदान करेंगे। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रणाली भारत की रक्षा क्षमता को मजबूत करेगी और युद्ध की स्थिति में त्वरित जवाबी कार्रवाई में मदद करेगी.
रक्षा मंत्रालय की मंजूरी का इंतजार
रक्षा मंत्रालय इस 10,000 करोड़ रुपये की परियोजना को जून 2025 के अंत में होने वाली उच्च-स्तरीय बैठक में मंजूरी देने की तैयारी कर रहा है। इस परियोजना के तहत तीन विमानों की खरीद विदेशी निर्माताओं से खुले टेंडर के जरिए होगी। हालांकि, विमानों पर लगने वाली सभी प्रणालियाँ DRDO द्वारा विकसित की गई हैं, जो भारत की स्वदेशी रक्षा तकनीक की ताकत को दर्शाता है। अधिकारियों का कहना है कि इन विमानों को विशेष रूप से I-STAR प्रणाली के लिए संशोधित किया जाएगा.
भारत की रक्षा ताकत में इजाफा
I-STAR विमानों का अधिग्रहण भारत की रक्षा तैयारियों में एक बड़ा कदम है। ये विमान न केवल युद्ध के दौरान सटीक हमलों में मदद करेंगे, बल्कि सीमा पर अनियमित गतिविधियों और संभावित खतरों को भी कम करेंगे। इनकी मल्टी-स्पेक्ट्रल निगरानी क्षमता दुश्मन के ठिकानों का पता लगाने और उनकी गतिविधियों पर नजर रखने में सक्षम होगी। यह प्रणाली हवाई और जमीनी दोनों हिस्सों से मिलकर बनेगी, जो युद्धक्षेत्र में एक समग्र तस्वीर प्रदान करेगी.
वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति
I-STAR प्रणाली का विकास भारत को उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में ला खड़ा करेगा, जिनके पास ऐसी उन्नत निगरानी और लक्ष्य निर्धारण की क्षमता है। यह परियोजना 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया' पहल को भी बढ़ावा देगी, क्योंकि विमानों की मुख्य तकनीक स्वदेशी होगी। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रणाली भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को और मजबूत करेगी और क्षेत्रीय तनावों, खासकर पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर, निगरानी और जवाबी कार्रवाई की क्षमता को बढ़ाएगी.