क्या आपके साथ भी कभी ऐसा होता है कि पेट में एक अजीब सा दबाव और भारीपन बना हुआ महसूस होता है, शरीर में थकान लगती है और बिना किसी वजह के, बस ठीक नहीं लगता? तो संभव है कि आपका पेट आपसे कुछ कहने की कोशिश कर रहा है.
दरअसल, पेट सेहतमंद है या नहीं इसका पता केवल सही पाचनशक्ति से ही नहीं लगता. बल्कि, इसका ताल्लुक़ आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली( इम्यून सिस्टम), मानसिक सेहत, आपके मूड, यहां तक कि आप कितने ऊर्जावान महसूस करते हैं, इससे भी है.
हमारा पेट ख़रबों बैक्टीरिया और सूक्ष्म जीवों (माइक्रोब्स) का घर है, ये तभी स्वस्थ रहते हैं, जब हम संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेते हैं.
पर खान-पान सही न हो तो इसका प्रभाव हमारे पेट की सेहत पर पड़ सकता है. जिससे पाचन से संबंधित समस्याएं, सूजन और लंबे समय तक बनी रहने वाली बीमारियां भी हो सकती हैं.
डॉक्टर जूली मैकडॉनल्ड, इंपीरियल कॉलेज लंदन के सेंटर फ़ॉर बैक्टीरियल रेज़िस्टेंस बायोलॉजी में सीनियर लेक्चरर हैं. उनका कहना है कि पेट में होने वाली समस्याएं अलग-अलग तरह से सामने आ सकती हैं.
जैसे हर शख़्स के फिंगरप्रिंट्स अलग होते हैं, वैसे ही हर शख़्स के पेट में मौजूद जीवाणु या बैक्टीरिया भी अलग-अलग होते हैं. इसका मतलब है कि कुछ लोगों की पाचन शक्ति मज़बूत हो सकती है, वहीं कुछ की कमज़ोर.
एक सेहतमंद पेट के पीछे कई फ़ैक्टर्स काम करते हैं. जैसे; जेनेटिक्स, आप के आसपास का पर्यावरण, आपकी डाइट और यहां तक कि आपकी शुरुआती जीवन से जुड़ी कुछ कड़ियां भी. मसलन किसी का जन्म सी-सेक्शन के ज़रिए हुआ या नॉर्मल डिलीवरी के माध्यम से. ये सारी ही चीज़ें एक स्वस्थ पेट को आकार देने में अहम भूमिका निभाती हैं.
अब चूंकि हर शख़्स के पेट में मौजूद बैक्टीरिया एक दूसरे से अलग होते हैं, इसलिए शोधकर्ताओं को इनसे जुड़े शोध करने में भी ख़ासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. वैज्ञानिकों को जहां कुछ अच्छे बैक्टीरिया खोजने में सफलता मिली है, वहीं कौन से बैक्टीरिया या जीवाणु स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं खड़ी कर सकते हैं, ये पता लगाना अभी भी चुनौतीपूर्ण बना हुआ है.
इंपीरियल कॉलेज लंदन में क्लिनिकल रिसर्च फेलो और कंसल्टेंट फिज़िशियन डॉक्टर बेंजामिन मुलिश कहते हैं, ''आप क्या खाते हैं इसका सीधा असर आपके पेट में मौजूद जीवाणुओं पर पड़ता है."
''हमने शोध में देखा है कि डाइट में बदलाव- जैसे खाने में मीट की मात्रा कम करने या फ़ाइबर युक्त आहार की मात्रा बढ़ाने जैसे क़दम से पेट के बैक्टीरिया में अहम बदलाव लाए जा सकते हैं.''
शोध से पता चलता है कि दही, केफ़िर ड्रिंक्स (दूध से बना एक तरह का प्रोबायोटिक ड्रिंक) जैसे फ़र्मेंटेड डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन करने से लैक्टोबैसिलस और बिफ़िडोबैक्टीरियम जैसे अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ने में मदद मिल सकती है. भले ही वो आपके पेट में मौजूद जीवाणुओं को विविध बनाने में मदद न करें.
लेकिन डाइट ही एक अहम फ़ैक्टर नहीं है. पेट की सेहत पर इन चीज़ों का भी गहरा प्रभाव पड़ता है-
नींद और तनाव: ख़राब नींद और लगातार तनाव से पेट के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ता है.
व्यायाम: शारीरिक गतिविधियां या कसरत पेट में मौजूद स्वस्थ सूक्ष्म जीवों को फलने-फूलने में मदद करता है.
एंटीबायोटिक्स: चिकित्सा और कृषि में एंटीबायोटिक दवाओं का ज़्यादा इस्तेमाल पेट के जीवाणुओं को नुक़सान पहुंचा सकता है और एक समय के बाद उन पर इन दवाओं का प्रभाव भी ख़त्म हो जाता है.
जापान की एक हालिया स्टडी में पता चला है कि ज़्यादा दाल और सब्ज़ियां खाने से पेट के फ़ायदेमंद जीवाणुओं को बढ़ावा मिलता है और तनाव कम किया जा सकता है.
तक़रीबन एक हज़ार महिलाएं, जिनमें ज़्यादातर स्वस्थ थीं, उन पर एक शोध किया गया. इस शोध में सामने आया है कि प्रोबायोटिक (ज़िंदा बैक्टीरिया जो शरीर के लिए फ़ायदेमंद हों) और फ़ाइबर युक्त खाने का सेवन करने से शरीर में लैक्नोस्पिआ नामक बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ सकती है. ये बैक्टीरिया हमारे पेट की सेहत को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है.
डॉक्टर मुलिश पेट और मस्तिष्क के बीच के संबंध को भी रेखांकित करते हैं. वो कहते हैं, ''वेगस नर्व या वेगस तंत्रिका हमारे मस्तिष्क और पेट को जोड़ती है, और ज़रूरी रसायन जैसे सेरोटोनिन और डोपामिन हमारे पेट में ही बनने तैयार होते हैं."
नए शोध से पता चलता है कि पेट का स्वास्थ्य हमारे व्यवहार और मानसिक सेहत को प्रभावित कर सकता है.
पेट को स्वस्थ रखना है तो डाइट में वैसी चीज़ें शामिल करें जिनमें प्रोबायोटिक्स हों. शोध बताते हैं कि इससे पाचन क्रिया ठीक से काम करती है, पेट का भारीपन कम होता है और इम्यूनिटी को भी मदद मिलती है.
फ़र्मेंटेड खाना या ड्रिंक जो बहुत प्रचलित है-
लेकिन अगर आपने पहले कभी फ़र्मेंटेड चीज़ें नहीं खाई या पी हैं तो किसी भी तरह के पाचन संबंधी असहजता से बचने के लिए इनकी कम मात्रा से ही शुरुआत करें.
फ़ाइबर युक्त खाने से भी पाचन क्रिया को बेहतर किया जा सकता है. रिसर्च बताती है कि इससे वैसी बीमारियां जो पाचन तंत्र को प्रभावित करती हैं, उसके ख़तरे को भी कम किया जा सकता है और वज़न को मैनेज करने में मदद करती हैं.
वैसी चीज़ें जिनमें हाई-फ़ाइबर होता है:
ध्यान रहे कि खाने में फ़ाइबर की मात्रा को धीरे-धीरे ही बढ़ाएं. अचानक बढ़ाने से पेट में भारीपन और असहजता हो सकती है. पाचन में मदद के लिए ख़ूब पानी पिएं.
तीसरे हैं पॉलीफ़ेनॉल्स, जो पौधे में पाए जाने वाले वो तत्व होते हैं जिनमें एंटीऑक्सीडेंट प्रॉपर्टीज़ होती हैं. ये पेट में सूजन को कम करने और अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाने में मदद करते हैं.
पॉलीफ़ेनॉल्स डार्क चॉकलेट, ग्रीन टी, बेरीज़ जैसे ब्लूबेरी, स्ट्रॉबेरी, ऑलिव आॉयल आदि में पाए जाते हैं.
ध्यान रहे कि इन्हें अवोकाडो या नट्स जैसे हेल्दी फै़ट्स के साथ खाएं, ताकि शरीर इन्हें अच्छे से अब्ज़ॉर्ब कर सके.
बोन ब्रॉथ भी अच्छा विकल्प है. इसमें कोलेजन और ग्लूटामिन जैसे अमीनो एसिड होते हैं जो पेट की परत को मज़बूत करने और सूजन कम करने में कारगर होते हैं. इसे सूप के साथ या ऐसे भी पिया जा सकता है. हालांकि इसके फ़ायदे साबित करने के लिए अभी और रिसर्च की ज़रूरत है.
अब वैसे खाद्य पदार्थ की बात, जो आपके पेट की सेहत को बिगाड़ सकते हैं.
इसमें सबसे पहला नंबर है प्रोसेस्ड फ़ूड का. अगर आप प्रोसेस्ड फ़ूड बहुत ज़्यादा खाते हैं तो आपको पता होना चाहिए कि इनमें ऐसे तत्व होते हैं जो आपके पेट के अच्छे बैक्टीरिया को नुक़सान पहुंचा सकते हैं.
उदाहरण के लिए चिप्स, बिस्किट, इंस्टेंट नूडल्स, प्रोसेस्ड मीट, मीठे अनाज, रेडी-टू-ईट फ़ूड. अपने पेट की सेहत ठीक रखनी है तो कम प्रोसेस्ड फ़ूड जैसे नट्स, फ्रूट्स या घर का बना कुछ हेल्दी स्नैक खाएं.
आर्टिफ़िशियल स्वीटनर जैसे एस्पार्टेम और सैकरीन आपके पेट के जीवाणु और ब्लड शुगर पर बुरा असर डाल सकते हैं. ये सबसे अधिक डाइट कोल्ड ड्रिंक, शुगर-फ़्री च्विंगम और लो-कैलोरी स्नैक्स में पाई जाती हैं. इसकी जगह आप स्टीविया या मोंक फ्रूट का विकल्प चुन सकते हैं.
जिस भी खाने में चीनी की मात्रा ज़्यादा होती है, वो हानिकारक बैक्टीरिया के लिए अनुकूल माहौल बनाने में मदद करता है. जिससे उनकी तादाद बढ़ती है और पेट में सूजन भी हो सकती है. इसलिए पेस्ट्री, केक, सफ़ेद ब्रेड, पास्ता, सोडा, एनर्जी ड्रिंक, पैकेट वाले जूस जैसी चीज़ों से बचें. मीठा खाने की इच्छा हो तो फल या डार्क चॉकलेट खाएं.
किसी भी तरह की शराब हो, वो आपके पेट के लिए नुक़सानदेह ही है. इससे नींद, मानसिक सेहत और पेट के बैक्टीरिया पर बुरा असर पड़ सकता है. रेड वाइन में पॉलीफ़ेनॉल्स होते हैं लेकिन शराब का नुक़सान उसके फ़ायदे को कम कर देती है.
अगर शराब पीते हैं तो कम मात्रा में पिएं और साथ में ऐसा कुछ खाएं जो पेट के लिए फ़ायदेमंद हो.
इससे पेट में मौजूद सूक्ष्म जीवों का संतुलन बिगड़ सकता है और कोलोन कैंसर का ख़तरा बढ़ सकता है. इसलिए मछली, दाल या चिकन जैसे हेल्दी प्रोटीन वाले विकल्प को तरजीह दें. बीच-बीच में रेड मीट को खाने में शामिल न करें.
डॉ. मैकडॉनल्ड इस बात पर ज़ोर देते हैं कि खाने में फ़ाइबर की मात्रा को बढ़ाना पेट की अच्छी सेहत का सबसे आसान और असरदार तरीक़ा है. वहीं डाइटिशियन कस्टर्न जैकसन कहती हैं कि रोज़ाना कम से कम तीस ग्राम फ़ाइबर को अपनी डाइट में शामिल करें. ये साबुत अनाज, फल, सब्ज़ियां, सीड्स , नट्स कुछ भी हो सकते हैं. फ़ाइबर सूक्ष्म जीवों को पोषित करता है और क़ब्ज़ जैसी समस्या को दूर करता है.
कुछ आसान उपाय
जैकसन कहती हैं कि अपनी डाइट में ये छोटे मगर ज़रूरी बदलाव करने और उसका पालन करना, अचानक किए गए बदलावों से ज़्यादा असरदार और टिकाऊ होते हैं.
उनका कहना है, "हर हफ़्ते पेट की सेहत बेहतर करने की दिशा में एक छोटा लक्ष्य तय करें. अगर आप सोच-समझकर खाना खाएंगे और अच्छी जीवनशैली अपनाएंगे तो ये न केवल आपके पाचन तंत्र को मज़बूत करेगा, बल्कि आपकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता और मानसिक स्थिति को भी बेहतर बना सकता है."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित