विजय रूपनी लकी नंबर 1206: गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की भी अहमदाबाद विमान हादसे में मौत हो गई है। गुरुवार को एयर इंडिया का बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान टेकऑफ के कुछ ही मिनट बाद क्रैश हो गया। ये विमान अहमदाबाद से लंदन जा रहा था और इसी फ्लाइट में विजय रूपाणी भी सवार थे।
इसी बीच उनकी(Vijay Rupani Death) मौत के बाद 1206 नंबर सुर्खियों में आ गया है। कहा जा रहा है कि ये विजय रूपाणी का लकी नबंर था। चलिए जानते इस 1206 नंबर का खेल। कैसे ये नंबर उनकी मौत की तारीख का नंबर बन गया।
हादसे से जुड़ी एक बेहद भावुक और चौंकाने वाली बात सामने आई है। विजय रूपाणी अपनी पत्नी अंजलि और बेटी से मिलने के लिए लंदन जा रहे थे। लेकिन जिस दिन उनका निधन हुआ यानी कि 12 जूनवो तारीख खुद उनके जीवन से एक गहरा जुड़ाव रखती थी।
दरअसल विजय रूपाणी 1206 नंबर को अपने लिए बेहद खास मानते थे। उनकी पहली कार का नंबर 1206 था। यही नंबर उनके स्कूटर पर भी था। उनकी गाड़ियों की रजिस्ट्रेशन प्लेट में भी यही अंक होता था। उन्होंने एक बार सार्वजनिक रूप से भी कहा था कि 1206 उनके लिए ‘लकी नंबर’ है। आज भी 1206 नंबर वाली कार और स्कूटर उनके घर के बाहर खड़ी है। लेकिन विडंबना ये है कि 12 जून यानी 12/06 यही नंबर उनकी मौत की तारीख बन गया। साथ ही उनका सीट नंबर भी 12 था। इसके अलावा फ्लाइट का टाइम भी 12 यानी 12:10 का था।
ये भी एक संयोग ही है कि विजय रूपाणी को पहले ही इस यात्रा पर निकलना था। लेकिन पंजाब के लुधियाना पश्चिम उपचुनाव की वजह से उन्होंने अपनी यात्रा टाल दी थी। भाजपा के पंजाब प्रमुख सुनील जाखड़ ने बताया कि रूपाणी 5 जून से 12 जून तक ब्रिटेन की यात्रा पर जाने वाले थे। लेकिन चुनाव ड्यूटी के चलते उन्होंने इसे टाल दिया। फिर 12 जून को जैसे ही उन्होंने अहमदाबाद से उड़ान भरी कुछ ही मिनटों में ये उनकी अंतिम उड़ान बन गई।
गुरुवार 12 जून को एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 ने दोपहर करीब 1:38 बजे अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भरी। लेकिन उड़ान भरने के महज 2 मिनट के भीतर ही विमान ने तेजी से ऊंचाई खो दी और सबसे पहले बी.जे. मेडिकल कॉलेज की मेस बिल्डिंग से टकरा गया।
इसके बाद विमान पास के अतुल्यम हॉस्टल से जा भिड़ा। जहां सीनियर रेसिडेंट डॉक्टर्स रहते थे। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि हॉस्टल और मेस दोनों में भीषण आग लग गई। हादसे में 15 से ज्यादा डॉक्टर घायल हुए हैं। वहीं अब तक बरामद हुए शवों में से ज्यादातर की हालत इतनी बुरी है कि उनकी पहचान केवल DNA टेस्ट से ही संभव है।