योग का असली अर्थ समझाएगा 'द स्पिरिट ऑफ योग' कार्यक्रम
Gyanhigyan June 15, 2025 05:42 PM

न्यूयॉर्क, 15 जून (आईएएनएस)। ऐसे समय में जब वैश्विक स्तर पर बाहरी स्वास्थ्य जैसे शारीरिक फिटनेस और सौंदर्य पर अधिक जोर दिया जा रहा है। लेकिन योग का असली मतलब अंदर की शांति से है। इसी बात को याद दिलाने के लिए अमेरिका में एक खास कार्यक्रम हो रहा है। यह पहल ऐसे समय में हो रही है जब दुनिया भर के शहर 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (आईडीवाई) मनाने की तैयारी कर रहे हैं।

आयोजकों ने रविवार को एक बयान में कहा कि 22 जून को लॉन्ग आइलैंड में ग्लोबल हारमनी हाउस में ‘द स्पिरिट ऑफ योग’ नाम का एक विशेष कार्यक्रम रखा गया है। इसे ब्रह्मा कुमारिज वर्ल्ड स्पिरिचुअल ऑर्गनाइजेशन होस्ट कर रहा है।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) के अधिकांश समारोह शारीरिक आसनों और लचीलेपन के प्रभावशाली सार्वजनिक प्रदर्शन पर केंद्रित होते हैं, अमेरिका में आयोजित ‘द स्पिरिट ऑफ योगा’ कार्यक्रम योग की सच्ची आत्मा को पुनः प्राप्त करने और इसकी गहरी आध्यात्मिक जड़ों के बारे में फिर से फोकस करने का एक अनूठा प्रयास है।

इस कार्यक्रम में अनेक गणमान्य व्यक्ति, आध्यात्मिक गुरु और अभ्यासकर्ता शामिल होंगे, जो हॉल में उपस्थित लगभग 250 साधकों को ज्ञान, प्रेरणा और यौगिक मूल्यों का जीवंत अनुभव प्रदान करेंगे, तथा अनेक लोग वर्चुअल माध्यम से इसमें भाग लेंगे।

न्यूयॉर्क में भारत के महावाणिज्य दूत बिनया श्रीकांत प्रधान मुख्य अतिथि होंगे, जो ब्रह्माकुमारीज अंतरराष्ट्रीय संगठन की मुख्य प्रशासनिक प्रमुख बीके मोहिनी दीदी की उपस्थिति में विश्व को भारत की ओर से दिए गए योग के उपहार पर बोलेंगे।

ग्लोबल हारमनी हाउस एक आध्यात्मिक केंद्र है जो लोगों को शांति से बैठकर योग को महसूस करने का माहौल देता है। यह ध्यान और आध्यात्मिक शिक्षाओं के माध्यम से शांति और सकारात्मकता को बढ़ावा देता है। यह कार्यक्रम लोगों को योग को गहराई से समझने और उसे मनाने का मौका देगा।

संयुक्त राष्ट्र में ब्रह्माकुमारीज की एनजीओ प्रतिनिधि गायत्री नारायण ने कहा, "आज के व्यावसायिक स्वास्थ्य जगत में, योग को अक्सर फिटनेस तक सीमित कर दिया जाता है। लेकिन योग की असली भावना आध्यात्मिक जागरूकता के माध्यम से अपने सर्वश्रेष्ठ स्वरूप और परमात्मा से जुड़ने के बारे में है।"

कार्यक्रम के सह-संचालक परवीन चोपड़ा ने कहा, "हम योग को एक ऐसे तरीके के रूप में देख रहे हैं जो जागरूकता, आत्म-साक्षात्कार और सद्भाव पर आधारित है। पतंजलि के अष्टांग योग में ध्यान सबसे जरूरी है, आसन तो उसका एक छोटा सा हिस्सा हैं।"

--आईएएनएस

डीकेएम/एएस

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