उत्तराखंड के पवित्र केदारनाथ धाम की शांत वादियों में आज सुबह एक दर्दनाक हादसे ने सभी को झकझोर दिया। गौरीकुंड के पास त्रिजुगीनारायण नारायण क्षेत्र में एक हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया, जिसमें सवार सभी सात लोगों की जान चली गई। यह हेलीकॉप्टर आर्यन एविएशन कंपनी का था और केदारनाथ से फाटा की ओर जा रहा था। खराब मौसम को इस हादसे की मुख्य वजह बताया जा रहा है। इस दुखद घटना ने न केवल उत्तराखंड, बल्कि पूरे देश को शोक में डुबो दिया है।
हादसे की पहली सूचना: घास काट रही महिलाओं की सतर्कताहादसे की पहली खबर नेपाली मूल की कुछ महिलाओं ने दी, जो उस समय गौरीकुंड के ऊपरी इलाके में घास काट रही थीं। उन्होंने आसमान में हेलीकॉप्टर को अनियंत्रित होते देखा और तुरंत पुलिस को सूचना दी। हेलीकॉप्टर गौरी माई खर्क के ऊपर जंगल में जा गिरा। मलबे के बीच से सभी सात शवों को निकाल लिया गया है, जिनमें एक मासूम बच्ची और बद्री-केदार मंदिर समिति (BKTC) के कर्मचारी विक्रम सिंह रावत भी शामिल हैं। NDRF और SDRF की टीमें मौके पर पहुंचीं और शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। उत्तराखंड के ADG लॉ एंड ऑर्डर डॉ. वी. मुरुगेशन ने भी घटनास्थल का दौरा कर हादसे की पुष्टि की।
पहले भी हो चुके हैं हादसे: क्या है वजह?यह पहला मौका नहीं है जब उत्तराखंड की पहाड़ियों में हेलीकॉप्टर हादसा हुआ हो। इसी साल 7 जून को केदारघाटी में एक हेलीकॉप्टर को तकनीकी खराबी के कारण रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाईवे पर इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी थी। उस घटना में पायलट की सूझबूझ ने पांच यात्रियों की जान बचा ली थी, हालांकि पायलट को चोटें आई थीं। हेलीकॉप्टर की टेल टूटने से एक कार और दुकान को भी नुकसान पहुंचा था। वहीं, पिछले महीने 8 मई को उत्तरकाशी के गंगनानी के पास एक और हेलीकॉप्टर क्रैश में छह लोगों की जान चली गई थी। ये हादसे उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में हेलीकॉप्टर उड़ानों की सुरक्षा पर सवाल उठाते हैं।
खराब मौसम: हादसों का बड़ा कारणउत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में मौसम की अनिश्चितता और तकनीकी चुनौतियां हेलीकॉप्टर हादसों का प्रमुख कारण बन रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि केदारनाथ और गंगोत्री जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हेलीकॉप्टर संचालन के लिए कड़े सुरक्षा मानकों और बेहतर मौसम निगरानी की जरूरत है। स्थानीय प्रशासन और एविएशन कंपनियों को मिलकर इन हादसों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।