लुधियाना वेस्ट विधानसभा उपचुनाव के बीच कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल पर राज्यसभा की कुर्सी पाने की लालसा का आरोप लगाते हुए 'कुर्सी यात्रा' निकाली। कांग्रेस ने इसे AAP की राजनीतिक साजिश करार देते हुए कहा कि यह चुनाव पंजाब के आत्मसम्मान पर हमला है।
पंजाब की राजनीति में इस समय लुधियाना वेस्ट उपचुनाव ने सियासी हलचलें तेज कर दी हैं। शुक्रवार को कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी (AAP) और उसके संयोजक अरविंद केजरीवाल के खिलाफ एक प्रतीकात्मक ‘कुर्सी यात्रा’ निकालकर राजनीतिक हमला बोला। इस यात्रा में केजरीवाल के एक पुतले को एक बड़ी कुर्सी पर बिठाया गया था और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उसे लेकर बैंड-बाजे के साथ लुधियाना की सड़कों पर मार्च किया।
यात्रा का नेतृत्व कर रहीं महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष अलका लाम्बा ने केजरीवाल पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, “दिल्ली की कुर्सी छिनने के बाद अब केजरीवाल पंजाब के जरिए राज्यसभा में पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। सत्ता का मोह और शाही जीवनशैली उनकी प्राथमिकता बन चुकी है।”
पंजाब कांग्रेस के सह प्रभारी राणा गुरजीत सिंह भी इस यात्रा में मौजूद रहे। उन्होंने AAP की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा कि केजरीवाल पहले ही दिल्ली में अपने नजदीकी भ्रष्टाचार के आरोपियों को बचाने के लिए पंजाब की सत्ता का दुरुपयोग कर रहे हैं।
इस अवसर पर कांग्रेस प्रत्याशी भारत भूषण आशु ने कहा, “यह चुनाव केवल एक विधायक के चयन का नहीं, बल्कि एक पंजाबी राज्यसभा सदस्य की बलि देकर केजरीवाल को दोबारा सत्ता में पहुंचाने की साजिश है। आम आदमी पार्टी संजीव अरोड़ा की सीट पर नजर गड़ाए हुए है ताकि केजरीवाल खुद राज्यसभा में घुस सकें।”
आशु ने आरोप लगाया कि केजरीवाल अब एक बेरोजगार नेता बन चुके हैं क्योंकि उन्होंने दिल्ली में नई दिल्ली विधानसभा सीट भी गंवा दी है। अब वे अपने लिए एक नई ‘नौकरी’ की तलाश कर रहे हैं, वह भी राज्यसभा में।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस की यह 'कुर्सी यात्रा' सिर्फ प्रतीकात्मक विरोध नहीं है, बल्कि AAP की रणनीतियों को जनता के सामने उजागर करने की कोशिश है। यह कांग्रेस की ओर से अपने परंपरागत वोटरों को एकजुट करने की भी कोशिश मानी जा रही है।
लुधियाना वेस्ट का यह उपचुनाव अब न केवल एक स्थानीय चुनाव रह गया है, बल्कि यह एक बड़ी राजनीतिक लड़ाई का प्रतीक बन चुका है, जिसमें राज्यसभा की कुर्सी तक पहुंचने की महत्वाकांक्षा और पंजाब की अस्मिता के मुद्दे आमने-सामने खड़े हैं।