केदारनाथ में हाल ही में हुए हेलीकॉप्टर हादसे में एक नई और अहम जानकारी सामने आई है, जिसने शासन और प्रशासन दोनों को चौकन्ना कर दिया है। इस हादसे में सात लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। घटना के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के मुख्य सचिव, यूकाडा और DGCA (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आपात बैठक कर स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि भविष्य में किसी भी तरह की लापरवाही या सुरक्षा मानकों की अनदेखी नहीं चलेगी। यदि सरकार की निर्धारित गाइडलाइन का पालन नहीं किया गया, तो संबंधित एजेंसियों और व्यक्तियों पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी।
मौसम बना हादसे का कारण, राज्य सरकार हुई सतर्क
घटना के संबंध में मिली प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, खराब मौसम और भारी बारिश के कारण हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ, जिसमें सभी सात यात्रियों की जान चली गई। हाल के दिनों में उत्तराखंड में हेलीकॉप्टर दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ने से राज्य सरकार पूरी तरह सतर्क हो गई है। इस चिंता को देखते हुए मुख्यमंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिए कि यदि कोई भी ऑपरेटर या एजेंसी सुरक्षा मानकों की अनदेखी करती है, तो उसके खिलाफ कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी।
दर्दनाक हादसे पर सीएम ने जताया गहरा दुख
मुख्यमंत्री धामी ने इस हादसे पर गहरा दुख जताते हुए मृतकों के प्रति संवेदना प्रकट की। उन्होंने कहा, “मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि दिवंगत आत्माओं को शांति मिले और उनके परिजनों को इस कठिन समय में संबल मिले।” उन्होंने बताया कि तत्काल एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई है और हादसे से जुड़े सभी पहलुओं की गहराई से जांच की जा रही है।
जांच रिपोर्ट 24 घंटे में मांगी गई, दो दिन हेली सेवाएं स्थगित
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि हादसे की विस्तृत जांच रिपोर्ट 24 घंटे के भीतर सरकार को सौंप दी जाए। यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए 15 और 16 जून को केदारनाथ में हेली सेवाओं को अस्थायी रूप से स्थगित करने का फैसला लिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस दुर्घटना में यदि किसी की लापरवाही सामने आती है, तो उसे बख्शा नहीं जाएगा।
तकनीकी समिति का होगा गठन, अनुभवी पायलट की होगी तैनाती
सीएम धामी ने तकनीकी सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। उन्होंने मुख्य सचिव को आदेश दिया कि हेलीकॉप्टर संचालन की तकनीकी और सुरक्षा पहलुओं की समीक्षा के लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाई जाए। यह समिति एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) तैयार करेगी और सुनिश्चित करेगी कि कोई तकनीकी खराबी हेलीकॉप्टर संचालन में बाधा न बने। साथ ही, विशेष रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में अधिक ऊंचाई पर उड़ान भरने वाले हेलीकॉप्टरों के लिए अनुभवी और प्रशिक्षित पायलटों की तैनाती की जाएगी।