बिहार में अबकी बार किसकी सरकार? ओपिनियन पोल में जनता ने दे दिया जवाब, जानिए किसे लगेगा झटका
Newshimachali Hindi June 16, 2025 10:42 AM

बिहार मे अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन चुनावों में एक तरफ नीतीश कुमार की अगुवाई वाला NDA है दूसरी तरफ तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन ताल ठोंकने वाले हैं।

वहीं, सूबे के सियासी गलियारों में अटकलबाजियों का दौर शुरू हो गया है कि कौन इस चुनाव में बाजी मारने वाला है? लेकिन सामने आए ताजा सर्वे ने इसका जवाब दे दिया है।

बिहार में आगामी चुनाव को लेकर पोल ट्रैकर का ओपिनियन पोल सामने आया है। इसमें न केवल इस सवाल का जवाब दिया गया है कि यहां अक्टूबर-नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में किसकी सरकार बनने वाली है! इतना ही नहीं इस पोल में यह भी बताया गया है कि बिहार में सबसे पॉपुलर नेता कौन है!

बिहार में अबकी बार किसकी सरकार?

15 मार्च से 5 जून 2025 के बीच कराए गए इस ओपिनियन पोल में बिहार के अलग-अलग इलाकों के 5 लाख से ज्यादा लोगों की राय ली गई। नतीजों के मुताबिक, महागठबंधन को 44.2% वोट शेयर के साथ करीब 126 सीटें मिलने का अनुमान है। वहीं, एनडीए को करीब 112 सीटें मिलने का अनुमान है। बहुमत के लिए 122 सीटों की जरूरत होती है, ऐसे में महागठबंधन सत्ता की कुर्सी पर काबिज हो सकता है।

तेजस्वी यादव बने CM की पहली पसंद

ओपिनियन पोल में यह भी सामने आया है कि तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री पद के लिए लोगों की पहली पसंद बनकर उभरे हैं। 43% लोगों ने उन्हें अगले सीएम के तौर पर देखने की इच्छा जताई है। वहीं, नीतीश कुमार को 31% लोगों का समर्थन मिला है। वहीं, नए चेहरे के तौर पर चुनावी मैदान में उतरे प्रशांत किशोर को सीएम पद के लिए 9% लोगों ने पसंद किया है।

राजनीतिक रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी इस सर्वे में बड़ी सफलता हासिल नहीं कर पाई है। सर्वे के मुताबिक पार्टी को सिर्फ 2.7% वोट मिल सकते हैं और संभव है कि यह सिर्फ एक सीट पर सिमट जाए। आपको बता दें कि प्रशांत किशोर ने 2 अक्टूबर 2024 को अपनी पार्टी की नींव रखी थी और सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। उन्होंने इसे 'बिहार का नया विकल्प' बताया था, लेकिन अब तक जनता ने उन्हें उस स्तर पर समर्थन नहीं दिया है।

युवाओं में मोदी से ज्यादा पापुलर हैं राहुल

पोल ट्रैकर सर्वे के मुताबिक बिहार के युवाओं में राहुल गांधी की लोकप्रियता बढ़ी है और वे 47% युवाओं की पहली पसंद बनकर उभरे हैं। जबकि पीएम मोगी की लोकप्रियता 39 प्रतिशत ही रही है। इसके चलते कांग्रेस को उम्मीद है कि इस बार वह सिर्फ सहयोगी पार्टी की बजाय निर्णायक भूमिका निभा सकती है।

फिलहाल यह ओपिनियन पोल हैं। अभी बिहार चुनाव में तकरीबन 4 से 5 महीने का वक्त बाकी है। इतना समय सियासत में सबकुछ बदलने के लिए काफी होता है। ऐसे में देखना अहम होगा कि यहां चुनाव होने तक इक्वेशन यहीं रहेंगे या फिर बदल जाएंगे?

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