वोलैटाइल मार्केट में स्थिरता चाहिए? इन कंपनियों में दिख रहा है स्ट्रॉन्ग फाइनेंशियल बेस और 38% तक रिटर्न देने की क्षमता
et June 17, 2025 03:42 AM
जब बाजार में तूफान मचें और 'ट्रंपिज्म' जैसे शोर गूंजें, तब मजबूत बैलेंस शीट वाली कंपनियां चट्टान की तरह अडिग खड़ी रहती हैं! रिसेशन में ये कंपनियां निवेशकों के लिए ढाल के जैसे रहती हैं. यदि आप भी लॉन्ग टर्म निवेश के लिए कुछ स्टॉक की तलाश में हैं तो आज हम आपको ऐसे 5 स्टॉक्स के बारे में बता रहे हैं, जो निवेशकों के फाइनेंशियल गोल को पूरा करने में मजबूत भूमिका निभाने सकते हैं. आइए, विस्तार से जानते हैं कि मजबूत बैलेंस शीट निवेश का आधार क्यों है और किन कंपनियों पर दांव लगाना हो सकता है फायदेमंद.



निवेश के लिए मजबूत बैलेंस शीटवाली कंपनियों का क्यों करें चुनाव?

लॉन्ग टर्म के निवेश करने के लिए ऐसी कम्पनियों का चुनाव करें, जिनकी मजबूत बैलेंस शीट हो. अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर हो या तेजी का, ये कंपनियां हर स्थिति में अपनी चमक बरकरार रखती हैं. जब इकोनॉमी में रिसेशन का दौर आता है, तो स्ट्रॉन्ग बैलेंस शीट वाली कंपनियां न सिर्फ अपने शेयरों को ज्यादा गिरने से बचाती हैं, बल्कि मौका मिलने पर दूसरी कंपनियों का एक्विजिशन भी कर सकती हैं. इसके अलावा जब मार्केट में तेजी लौटती है, तो ये कंपनियां एक्सपांशन की नई ऊंचाई को छूती है. इसके लिए कंपनी का बिजनेस मॉडल और मैनेजमेंट फोरसाइट पर नजर रखनी जरूरी है. एक मजबूत बैलेंस शीट न केवल कंपनी की फाइनेंशियल हेल्थ को रिप्रेजेंट करती है, बल्कि मैनेजमेंट के द्वारा सही समय पर सही फैसले लेने की काबिलियत को भी दिखाती है.



हालांकि निवेशकों को केवल स्ट्रॉन्ग बैलेंस शीट तक ही सिमित नहीं रहना चाहिए. इसमें कुछ सेक्टर ऐसे होते हैं, जहां बाजार का आकार बड़ा हो या फिर प्रोडक्ट्स और सर्विसेस ऐसी हों, जिनकी डिमांड हमेशा बनी रहती है, तो वे स्टॉक निवेशकों के लिए प्रॉफिटेबल हो सकते हैं. उदाहरण के लिए, एनर्जी, हेल्थकेयर या फिर तेजी से डेवलपिंग इकोनामी में इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे सेक्टर्स की कम्पनियों के स्टॉक. इन सेक्टरों में इन्वेस्ट करने से न केवल रिसेशन के समय में सुरक्षा मिलती है बल्कि इनमें जबरदस्त रिटर्न भी मिल सकता है.



आजकल बाजार में ट्रंपिज्म जैसे शब्दों का शोर मचा हुआ है. लेकिन क्या आप जानते हैं? ऐसे ही लगभग दो दशक पहले बुशिज्म और उससे पहले रीगनिज्म जैसे शब्द भी चर्चा में थे. ये सारे 'इज्म' आते हैं और चले जाते हैं, लेकिन स्ट्रॉन्ग बैलेंस शीट वाली कंपनियां हर तूफान में डटी रहती हैं. इसलिए, मार्केट में आने वाले ऐसे शोर को नजरअंदाज करके ऐसी कम्पनियों में निवेश करना चाहिए जिनका बेस स्ट्रॉन्ग हो.



इन सेक्टर्स के कई स्टॉक निवेशकों को कराते हैं मुनाफा

कुछ सेक्टर्स ऐसे हैं, जहां मार्केट का बड़ा आकार और भारी डिमांड के कारण कुछ कंपनियों के स्टॉक्स निवेशकों को जबरदस्त मुनाफा कमा कर देते हैं. जैसे -

  • एनर्जी सेक्टर : हर घर, हर इंडस्ट्री को एनर्जी की जरूरत होती है. इसलिए ये हमेशा डिमांड में रहता है.
  • हेल्थकेयर: बीमारी और स्वास्थ्य की देखभाल आवाज जुड़ी कम्पनियों में भी निवेश करना सही फैसला हो सकता है.
  • इन्फ्रास्ट्रक्चर: डेवलपिंग कंट्री जैसे भारत में यह सेक्टर हमेशा बढ़ता है.


कंपनी का नाम लेटेस्ट एवरेज स्कोर रेकमेंडेशन एनालिस्ट रेकमेंडेशन काउंट अपसाइड पोटेंशियल परसेंट नेट मार्जिन % RoE % 3 मंथ रिटर्न परसेंट इंस्टिट्यूशनल स्टेक परसेंट मार्केट कैप (करोड़ रुपए में)
Cummins India 9 बाय 24 38% 19% 28% 17% 30% 91829
Power Grid Corp of India 6 बाय 21 35% 34% 17% 7% 33% 265718
Global Health 8 बाय 11 30% 13% 15% 1% 21% 31902
Cipla 10 बाय 34 25% 19% 18% 3% 43% 121592
Infosys 8 बाय 41 25% 16% 29% 1% 49% 665318


इन सेक्टरों में रिसेशन के दौरान भी गिरावट कम होती है और जब तेजी आती है, तो ये शानदार रिटर्न देते हैं. ऐसे सेक्टरों में निवेश करना लॉन्ग टर्म के लिए प्रॉफिटेबल हो सकता है.



रेफाइनिटिव की स्टॉक रिपोर्ट्स प्लस के आधार पर कुछ खास पैरामीटर के जरिए कंपनियों की लिस्ट तैयार की है.

  • न्यूट्रल से पॉजिटिव आउटलुक: ऐसी कंपनियां चुनी गईं, जिनका औसत स्कोर 6 या उससे ज्यादा हो. यह स्कोर पांच प्रमुख पिलर्स - कमाई, फंडामेंटल्स, रिलेटिव वैल्यूएशन, रिस्क , और प्राइस मोमेंटम पर बेस्ड है.
  • ब्रोकर रेटिंग: इन कंपनियों को 'स्ट्रॉन्ग बाय', 'बाय' या 'होल्ड' रेटिंग दी गई है. यह रेटिंग इंस्टीट्यूशनल ब्रोकर्स एस्टिमेट सिस्टम से ली गई है.
  • रिटर्न ऑन इक्विटी (RoE): कम से कम 15% RoE वाली कंपनियां, जो कंपनी की प्रॉफिटेबिलिटी को दर्शाती हैं.
  • नेट प्रॉफिट मार्जिन: कम से कम 13% नेट प्रॉफिट मार्जिन, जो कंपनी की सेल से प्रॉफिट कमाने की कैपेसिटी को दिखाता है.
  • इंस्टीट्यूशन इन्वेस्टमेंट: कम से कम 20% इंस्टीट्यूशन इन्वेस्टमेंट वाली कंपनियां, जो बड़े निवेशकों के भरोसे को दर्शाती हैं.


कंपनियों के बारे में जानते हैं

  • कमिंस इंडिया लिमिटेड: कमिंस इंडिया लिमिटेड एक ऐसी कंपनी है जो इंजन, जनरेटर और पावर से जुड़ी मशीनें बनाती है. यह मुख्य रूप से दो हिस्सों में काम करती है. पहला, इंजन बिजनेस, जिसमें यह भारी वाहनों, माइनिंग मशीनों और खेती से जुड़े उपकरणों के लिए डीजल इंजन बनाती है. दूसरा, पावर सिस्टम बिजनेस, जहां यह बिजली पैदा करने वाले जनरेटर और उनसे जुड़े सिस्टम तैयार करती है. इसके अलावा, कंपनी इन मशीनों की सर्विस और मेंटेनेंस भी खुद करती है, जिसे डिस्ट्रीब्यूशन बिजनेस कहा जाता है. कमिंस अपने प्रोडक्ट्स एग्रीकल्चर, प्रोडक्शन, माइनिंग, रेलवे और ऑयल-गैस जैसे सेक्टर्स को मुहैया कराती है. इसका मजबूत प्रोडक्ट पोर्टफोलियो और देशभर में फैला सर्विस नेटवर्क इसे बाजार में खास बनाता है.
  • पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड: यह देश की सबसे बड़ी पावर ट्रांसमिशन कंपनी है, जो अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन सिस्टम (ISTS) का संचालन और रखरखाव करती है. इसके अलावा, यह टेलीकॉम और कंसल्टेंसी सर्विस भी देती है. स्मार्ट ग्रिड टेक्नोलॉजी और ऑप्टिकल ग्राउंड वायर (OPGW) के जरिए टेलीकॉम सर्विस इसे फ्यूचर के लिए स्ट्रॉन्ग बनाती है. यह पावर सेक्टर में मजबूत है.
  • ग्लोबल हेल्थ लिमिटेड (मेदांता): यह नार्थ और ईस्ट भारत में मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल चलाती है. दिल्ली, गुरुग्राम, इंदौर, रांची, पटना और लखनऊ में इसके पांच हॉस्पिटल और छह मेडिक्लिनिक हैं. कार्डियक सर्जरी, न्यूरोलॉजी, ऑन्कोलॉजी और नेफ्रोलॉजी जैसे सेक्टर्स में एक्सपर्टीज है. यह हेल्थकेयर सेक्टर की बढ़ती मांग को पूरा करने में अग्रणी है.
  • सिप्ला लिमिटेड : यह फार्मास्युटिकल्स की दिग्गज कंपनी है, जो जेनेरिक दवाइयां और एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट्स (API) बनाती है. इसके दो सेगमेंट हैं -फार्मास्युटिकल्स और न्यू वेंचर्स (कंज्यूमर हेल्थकेयर और बायोसिमिलर्स). रेस्पिरेटरी, कार्डियोलॉजी और एंटी-इन्फेक्टिव दवाओं में मजबूत पकड़ है. इसके 46 मैन्युफैक्चरिंग साइट्स इसे ग्लोबल लेवल पर मजबूत बनाते हैं.
  • इन्फोसिस लिमिटेड : यह आईटी कंसल्टिंग, टेक्नोलॉजी और डिजिटल सर्विस में लीडिंग कंपनी है. यह फाइनेंशियल सर्विसेज, मैन्युफैक्चरिंग, रिटेल और हेल्थकेयर जैसे सेक्टरों को सर्विस प्रोवाइड करती है. फिनाकल, पनाया और स्कावा जैसे प्रोडक्ट्स के साथ ग्लोबल मार्केट में मजबूत मौजूदगी है.
निवेशकों के लिए टिप्स

ये कंपनियां न सिर्फ अपने-अपने सेक्टर की अग्रणी हैं, बल्कि इनके पास मजबूत बैलेंस शीट, स्ट्रॉन्ग मैंनेजमेंट और बड़े इन्वेस्टर्स का भरोसा भी है लॉन्ग टर्म में निवेश के लिए ये स्टॉक बेहतर है. स्टॉक रिपोर्ट्स प्लस, रेफाइनिटिव द्वारा ऑपरेटेड कॉम्प्रिहेन्सिव रिसर्च रिपोर्ट है, जो पांच प्रमुख कम्पोनेंट - अर्निंग, फंडामेंटल्स, रिलेटिव वैल्यूएशन, जोखिम और प्राइस मोमेंटम का डीप एनालिसिस है..प्रत्येक स्टॉक को 1 से 10 के पैमाने पर रैंक किया जाता है, जहां 8-10 स्कोर पॉजिटिव , 4-7 न्यूट्रल और 1-3 निगेटिव माने जाते हैं.



डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल केवल जानकारी के उद्देश्य से है और निवेश सलाह नहीं है. निवेश से पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह लें. शेयर मार्केट से जुड़े सभी तरह के निवेश में रिस्क होता है और रिटर्न की गारंटी भी नहीं होती है.

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