शादी की रस्मों में दुल्हा और दुल्हन को हल्दी लगाने की परंपरा का गहरा महत्व है। भारतीय संस्कृति में यह रस्म सदियों से चली आ रही है। अन्य धर्मों में भी विवाह से पहले दुल्हा-दुल्हन को उबटन किया जाता है, जिसमें हल्दी का उपयोग होता है। इस रस्म के दौरान हल्दी, तेल और पानी मिलाकर एक पेस्ट तैयार किया जाता है। आइए जानते हैं कि हमारे पूर्वजों ने इस परंपरा की शुरुआत क्यों की थी और इसके पीछे क्या वैज्ञानिक कारण हैं।
त्वचा में निखार लाने में मददगार
पुराने समय में ब्यूटी पार्लर नहीं होते थे, इसलिए महिलाएं घरेलू नुस्खों का सहारा लेती थीं। प्राकृतिक और आयुर्वेदिक तरीकों से त्वचा की खूबसूरती बढ़ाई जाती थी। हल्दी को त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है और यह निखार लाने में सहायक होती है। शादी से पहले दुल्हा और दुल्हन के चेहरे पर हल्दी लगाई जाती है ताकि उनकी त्वचा में चमक आए।
हल्दी के एंटीसेप्टिक गुण
हल्दी न केवल त्वचा के लिए फायदेमंद है, बल्कि इसमें एंटीसेप्टिक गुण भी होते हैं। इसके औषधीय गुणों के कारण दुल्हा और दुल्हन की त्वचा पर हल्दी लगाई जाती है, जिससे संक्रमण फैलाने वाले कीटाणु समाप्त होते हैं। हल्दी एक एक्सफोलिएंट के रूप में कार्य करती है, जिससे स्नान के बाद त्वचा डिटॉक्स होती है और मृत कोशिकाएं निकल जाती हैं।
रूखी त्वचा के लिए हल्दी का उपयोग
यदि दुल्हा और दुल्हन की त्वचा सूखी है, तो हल्दी एक प्रभावी उपाय है। हल्दी लगाने से त्वचा में नमी आती है और पोषण मिलता है। यह सूखी त्वचा में दरारें भरने में मदद करती है, जिससे दुल्हा और दुल्हन की त्वचा में निखार बढ़ता है।