सेबी ने IIFL सिक्योरिटीज के निदेशक पर लगाया प्रतिबंध, 11.37 करोड़ का मुनाफा कमाने का आरोप
newzfatafat June 19, 2025 02:42 AM
सेबी की कार्रवाई

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने IIFL सिक्योरिटीज के निदेशक संजीव भसीन समेत अन्य व्यक्तियों पर प्रतिभूति व्यापार में शामिल होने पर रोक लगा दी है। यह कदम भसीन द्वारा अपनी सार्वजनिक सिफारिशों के खिलाफ स्टॉक पोजीशन लेने के कारण उठाया गया है।


भसीन का अवैध लाभ

भसीन ने अवैध तरीके से कमाए 11.37 करोड़

विशेषज्ञों का मानना है कि संजीव भसीन पहले ऐसे प्रमुख रिसर्च विश्लेषक हैं, जिन्हें सेबी ने फ्रंट रनिंग के लिए दंडित किया है। इससे पहले, सेबी ने अन्य बाजार सहभागियों पर फ्रंट रनिंग के लिए कार्रवाई की थी, लेकिन किसी रिसर्च विश्लेषक पर नहीं। सेबी की जांच में यह पाया गया कि भसीन पहले खुद प्रतिभूतियां खरीदते थे और फिर जनता को वही प्रतिभूतियां खरीदने की सलाह देते थे। जब उनकी सिफारिशों के बाद कीमतें बढ़ती थीं, तब भसीन उन्हें बेचकर मुनाफा कमाते थे। उनकी अधिकांश सिफारिशें 'खरीद' की थीं। भसीन द्वारा सुझाए गए स्टॉक्स में प्रमुख कंपनियां जैसे L&T टेक्नोलॉजी सर्विसेज, पराग मिल्क फूड्स, इंटरग्लोब एविएशन, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड और गोल्डरेज RCP शामिल थीं। इस प्रकार उन्होंने कुल 11.37 करोड़ का लाभ अर्जित किया।


सेबी की बड़ी कार्रवाई

सेबी ने की बड़ी कार्रवाई

सेबी ने मीडिया में गेस्ट स्पीकर संजीव भसीन, उनके सहायक ललित भसीन और आशीष कपूर, उनकी कंपनी RRB होल्डिंग्स, और अन्य तीन 'मुनाफा कमाने वालों' को नोटिस जारी किया। सेबी ने इन सभी को प्रतिभूति व्यापार और डिपॉजिटरी से जुड़ने पर प्रतिबंध लगाया है, साथ ही 11.37 करोड़ की राशि जब्त करने और जुर्माना लगाने का निर्देश दिया। नियामक ने बैंकों को बिना अनुमति भुगतान की अनुमति न देने का भी आदेश दिया है। नोटिस प्राप्तकर्ताओं को अंतरिम आदेश का जवाब देने के लिए 21 दिन का समय दिया गया है।


फ्रंट रनिंग की परिभाषा

शेयर बाजार में फ्रंट रनिंग एक अनैतिक और अवैध प्रथा है, जिसमें कोई व्यक्ति या संस्था गोपनीय जानकारी का दुरुपयोग कर लाभ कमाती है। यह तब होता है जब कोई ब्रोकर, विश्लेषक या निवेशक अपने ग्राहकों को सलाह देने से पहले उस जानकारी का उपयोग कर स्वयं शेयर खरीदता या बेचता है।

फ्रंट रनिंग क्या है?

फ्रंट रनिंग में कोई व्यक्ति ऐसी जानकारी का फायदा उठाता है, जो अभी सार्वजनिक नहीं हुई है। उदाहरण के लिए, यदि कोई रिसर्च विश्लेषक किसी कंपनी के शेयर को खरीदने की सलाह देने वाला है, तो वह पहले स्वयं उन शेयरों को खरीद लेता है। जब उनकी सिफारिश के बाद शेयर की कीमत बढ़ती है, तो वह इन्हें बेचकर मुनाफा कमाता है। यह न केवल अनैतिक है, बल्कि बाजार की पारदर्शिता और निवेशकों के भरोसे को भी नुकसान पहुंचाता है।


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