यूं ही नहीं ईरान में गिर रहे बड़े-बड़े विकेट, इस एक शख्स का लगा है दिमाग
TV9 Bharatvarsh June 20, 2025 04:42 AM

ईरान और इजराइल में तनाव तो लंबे वक्त से है, मगर इजराइल इतना भीषण प्रहार करेगा इसका अंदाजा तेहरान ने भी नहीं लगाया था. बेशक इस हमले का आदेश इजराइल के राष्ट्रपति बेंजामिन नेतन्याहू ने दिया था, मगर इसके पीछे एक अहम शख्स था. वो शख्स जिसके बूते ही इजराइल तकरीबन 1500 किमी दूर बैठे ही ईरान में बड़े-बड़े विकेट गिरा दे रहा है. यह शख्स हैं मोसाद के डायरेक्टर डेविड बार्निया. बार्नया ने ही ऑपरेशन राइजिंग लॉइन की पटकथा लिखी थी.

इजराइल ने 13 जून को ईरान पर पहला हमला किया था. इस हमले के लिए नेतन्याहू ने जिन दो लोगों के कहने पर हामी भरी थी उनमें एक बार्निया ही थे, दूसरे शख्स थे वायुसेना प्रमुख मेजर जनरल टोमर बार. एक इजराइली रक्षा अधिकारी के हवाले से टाइम्स ऑफ इजराइल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक जमीन पर कमान मोसाद को संभालनी थी और हवा में इजराइल की वायुसेना को. हालांकि हमला कब कहां और कैसे होगा इसे तय करने की जिम्मेदारी बार्निया की थी.

सेना हर बार करती रही इंकार, मोसाद ने ही दी हरी झंडी

इजराइली डिफेंस फोर्स के 2007 के बाद जो भी प्रमुख रहे, चाहे वे गैबी अश्केनाजी हों, बैनी गैंट्ज या गादी ईसनकोट सभी ईरान पर हमला करने का विरोध करते रहे, 2015 में जब अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु समझौता हुआ तो ये खत्म हो गया. इस बाद मोसाद ने ही ऑपरेशंस को लीड किया.सेना ने इसमें कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार तजाची हानेग्बी, जो लंबे समय से ईरान पर हमला करने के पक्षधर रहे हैं, ने नेतन्याहू और इजरायली रक्षा बलों के चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल इयाल जमीर को अतिरिक्त सहायता प्रदान करने के लिए प्रेरित किया तथा सुरक्षा कैबिनेट के सामने पूरा प्लान रखा, जिन्हें झठ से मंजूरी मिल गई.

डेढ़ साल में लिखी ईरान की बर्बादी की कहानी

बार्निया और मोसाद ने ईरान की बर्बादी की कहानी सिर्फ डेढ़ साल में लिखी. उन्हें 2021 में मोसाद का चीफ बनाया गया था. उन्होंने मोसाद में कई बदलाव किए और जो टेक्नोलॉजी इजराइली खुफिया एजेंसी प्रयोग कर रही थी, उसके प्रयोग का भी तरीका बदला. टाइम्स ऑफ इजराइल ने एक रिपोर्ट वरिष्ठ रक्षा अधिकारी के हवाले से लिखा है कि बार्निया ने मोसाद को पूरी तरह बदल दिया. स्मार्ट विजिलेंस कैमरे, फेस रिकॉगनाइजेशन समेत कई ऐसी टेकनीक थीं, जिन्हें मोसाद ने अपनाया. यह आसान इसलिए नहीं था क्योंकि मोसाद का काम करने का अपना तरीका है, इसे पूरी तरह बदलना अलग तरीके से चुनौती थीं, बार्निया ने ऐसा किया और ईरान में इसका असर भी दिख रहा है.

हेडलाइन बने बिना काम करते हैं बार्निया

टाइम्स ऑफ इजराइल की रिपोर्ट में एक रक्षा अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि बार्निया हेडलाइन बने बिना काम करने के लिए जाने जाते हैं. किसी मीटिंग में अगर कोई उन्हें अच्छी सलाह दे तो वे अपने फैसले को भी बदल लते हैं, उन्हें इससे कोई डर नहीं कि कोई उन्हें कमजोर समझोगा, बार्निया बस वही करते हैं जो इजराइल के लिए बेहतर है. खास तौर से 7 अक्टूबर 2023 को हमास के इजराइल पर अटैक के बाद से वह ईरान के खिलाफ रणनीति बनाने में जुटे थे.

एक के बाद एक गिरा रहे विकेट

सितंबर 2024 में मोसाद के ‘बीपर ऑपरेशन’ ने दुनिया को चौंका दिया, जिसमें हिजबुल्लाह के गुर्गों के हाथों में हजारों पेजर और सैकड़ों बम-जाल वाले वॉकी-टॉकी फट गए और यह तेहरान समर्थित आतंकवादी समूह के खिलाफ अभियान में निर्णायक साबित हुआ. इसके साथ ही, हिजबुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह की हत्या भी हुई और अब सैन्य खुफिया और मोसाद की सूचना पर निर्भर करते हुए सटीक हवाई हमलों के माध्यम से एक के बाद एक वरिष्ठ ईरानी हस्तियों की उनकी अपनी धरती पर हत्या की जा रही है.

ईरान में ऐसे पहुंचाए ड्रोन व अन्य हथियार

वॉल स्ट्रीट जर्नल ने इसी सप्ताह की शुरुआत में एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी कि मोसाद पिछले काफी समय से ईरान में ड्रोन और हथियारों की तस्करी करा रहा था. यह मोसाद की योजना का हिस्सा था. जब 13 जून को इजराइली हमले को झंडी मिली तो सबसे पहले ईरान के एयर डिफेंस सिस्टम को इन्हीं ड्रोन और हथियारों से ध्वस्त किया गया. इससे इजराइली वायुसेना का रास्ता साफ हो गया.

इजराइल ने चूर किया ईरान का अहंकार

रक्षा अधिकारी ने कहा कि बार्निया को समझ में आ गया था कि इस बार कोई विकल्प नहीं था, हमें ईरान पर बड़े पैमाने पर हमला करना था. हम हमेशा से जानते थे कि ईरानियों को लगता था कि हम कार्रवाई नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि हमारे पास क्षमता नहीं है और उन्हें उनके प्रतिशोध का डर था. उन्होंने देखा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन हिचकिचा रहे थे और इसका समर्थन नहीं कर रहे थे, और यह भी कि ट्रम्प ईरान पर हमला करने के लिए उत्सुक नहीं थे. ईरानियों को लगा कि उनके खिलाफ़ सभी धमकियां बकवास हैं और वास्तव में कुछ नहीं होगा, इसलिए वे आगे बढ़ते रहे. मगर अब ईरान वह अहंकारी देश नहीं रहा, इजराइल ने से जो झटका दिया है उसके बाद वह एक बार फिर परमाणु समझौते में वापस जाना चाहता है.

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