शनिदेव को काले तिल चढ़ाते समय इन मंत्रों का करें जाप, हर कष्ट होगा दूर!
TV9 Bharatvarsh June 20, 2025 02:42 PM

Shanidev Puja Mantra: हिन्दू धर्म में शनिदेव को न्याय का देवता और कर्मफल दाता माना जाता है. जब शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या महादशा चल रही हो, या कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में हों, तो जातक को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में शनिदेव को प्रसन्न करने और उनके अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए काले तिल अर्पित करना एक बहुत ही प्रभावी उपाय माना जाता है. काले तिल शनिदेव को अत्यंत प्रिय हैं.

काले तिल चढ़ाते समय ऐसे करें पूजा
  • काले तिल हमेशा शनिवार को ही शनिदेव को अर्पित करने चाहिए.
  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
  • शनिदेव को सरसों का तेल और काले तिल लोहे के पात्र में रखकर ही चढ़ाएं.
  • शनिदेव पर तेल या तिल चढ़ाते समय अपनी नजरें सदैव शनिदेव के चरणों पर ही रखें. शनिदेव से आंखें नहीं मिलानी चाहिए.
  • पूजा करते समय और मंत्र जाप करते समय मन में किसी भी तरह का संशय या नकारात्मक विचार न लाएं.
  • काले तिल के साथ सरसों का तेल, काले या नीले फूल, नीले वस्त्र, उड़द दाल, खिचड़ी आदि भी अर्पित कर सकते हैं.
  • शनिदेव के सामने सरसों के तेल का दीपक अवश्य जलाएं.
  • यदि संभव हो तो शनिवार की शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का जाप करते हुए सात बार परिक्रमा करें.
  • शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए काले तिल का दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है. आप इसे किसी निर्धन व्यक्ति को दान कर सकते हैं या शनि मंदिर में चढ़ा सकते हैं.
  • मंत्र जाप के बाद शनि चालीसा या शनि स्तोत्र का पाठ करना भी बहुत लाभकारी होता है.
शनिदेव का मूल मंत्र (सबसे प्रभावी)

ॐ शं शनैश्चराय नमः : यह मंत्र शनिदेव को समर्पित है और इसका जाप करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है.

शनिदेव का वैदिक/पौराणिक मंत्र (बीज मंत्र)

ॐ नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥: मैं उन शनिदेव को नमन करता हूं, जिनका रंग नीला है, जो सूर्यपुत्र और यम के बड़े भाई हैं, और जो छाया (शनिदेव की माता) तथा मार्तण्ड (सूर्यदेव का दूसरा नाम) से उत्पन्न हुए हैं.

शनि गायत्री मंत्र

ॐ काकध्वजाय विद्महे, खड्गहस्ताय धीमहि, तन्नो मन्दः प्रचोदयात्॥: हम कौवे के ध्वज वाले, हाथ में खड्ग धारण किए हुए, धीरे-धीरे चलने वाले (शनिदेव) का ध्यान करते हैं. वे मंद गति वाले शनि महाराज हमें अपनी शरण प्रदान करें.

शनिवार के दिन इन मंत्रों का जाप और विधि-विधान से पूजा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं. यह साढ़ेसाती और ढैय्या के नकारात्मक प्रभावों को कम करता है, कुंडली में शनि को मजबूत करता है, और जीवन के हर कष्ट व बाधा को दूर कर सुख-शांति प्रदान करता है.

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