गलत बिल स्मार्ट मीटर: छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के डहरिया स्थित सीएमटी कॉलोनी में रहने वाले भवानी राम को उस समय बड़ा झटका लगा जब उन्हें जनवरी में लगे स्मार्ट मीटर के पांच महीने बाद ₹2.62 लाख का बिजली बिल थमा दिया गया. जबकि सामान्यतः उनका मासिक बिल ₹1500 से ₹2000 के बीच आता था.
भवानी राम ने जब बिजली विभाग से संपर्क किया, तो पता चला कि पुराने मीटर की रीडिंग के आधार पर बिल जनरेट किया गया है. दरअसल, जब जनवरी में उनके घर नया स्मार्ट मीटर लगाया गया था, उस समय पुराने मीटर की अंतिम रीडिंग और फोटो को रिकॉर्ड किया गया था. मगर बिलिंग में गलती से उसी आधार पर राशि जोड़ दी गई, जो अब सामने आ रही है.
स्मार्ट मीटर लगाने वाली कंपनी के स्थानीय अधिकारी हरीश तिवारी ने बताया कि यह मामला उनके संज्ञान में आया और जांच के बाद यह सामने आया कि बिल पुराने मीटर की रीडिंग से गणना करके तैयार किया गया है. उनका कहना है कि पांच महीने की खपत सिर्फ 872.5 यूनिट रही है, जो सामान्य उपभोग के अनुसार सही है.
बिजली विभाग की प्रारंभिक जांच में इस बात की संभावना जताई गई है कि पुराने मीटर में ‘मीटर जंप’ हो गया था. यानी मीटर ने अचानक बड़ी रीडिंग दर्ज कर ली, जिससे बिल में गंभीर विसंगति आ गई. हालांकि अधिकारी यह भी कह रहे हैं कि सटीक जांच ऊर्जा निगम के स्तर पर ही की जा सकती है.
ऊर्जा निगम और स्मार्ट मीटर इंस्टॉल करने वाली कंपनी अब पुराने मीटर की MRI (Meter Reading Investigation) कराने की बात कर रहे हैं. इससे यह पता चलेगा कि क्या मीटर में तकनीकी खराबी, छेड़छाड़ या जंपिंग हुई है.
जानकारों का कहना है कि पांच महीने में मात्र 872 यूनिट बिजली की खपत पर ₹2.62 लाख का बिल आना असंभव है. ऐसे मामलों में अक्सर डेटा फीडिंग में त्रुटि, मीटर रीडिंग में गड़बड़ी या तकनीकी खामी होती है. यही वजह है कि अब मामले की गहन जांच की मांग की जा रही है.
भवानी राम का कहना है कि उन्होंने पूरी बिजली की खपत को ध्यान में रखते हुए शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन अब तक उन्हें कोई स्पष्ट समाधान या संशोधित बिल नहीं मिला है. वे चाहते हैं कि बिजली विभाग इस पर स्पष्टीकरण दे और गलत बिल को रद्द करे.
इस तरह के मामले देशभर में लगातार बढ़ रहे हैं, जहां स्मार्ट मीटर लगाने के बाद उपभोक्ताओं को भारी भरकम बिजली बिल मिल रहा है. कई बार मीटर डेटा की रीयल टाइम मॉनिटरिंग न होने, नेटवर्क समस्या या सिस्टम फॉल्ट की वजह से ऐसे विवाद सामने आते हैं.
भवानी राम जैसे हजारों उपभोक्ता चाहते हैं कि बिजली कंपनियां स्मार्ट मीटर सिस्टम को पारदर्शी और विश्वसनीय बनाएं. साथ ही, ऐसे मामलों में तत्काल समाधान और उपभोक्ता को राहत दी जाए, ताकि भरोसे की व्यवस्था बनी रह सके.