गंगा नदी, जो कई वर्षों से बह रही है, भारतीय संस्कृति में न केवल जीवनदायिनी है, बल्कि इसका धार्मिक महत्व भी अत्यधिक है। गंगा का उल्लेख अनेक धार्मिक ग्रंथों में मिलता है, और इसे हिंदुओं के लिए पवित्र जल माना जाता है।
हालांकि, यह सवाल उठता है कि लाखों श्रद्धालुओं के स्नान के बावजूद गंगा का पानी कैसे साफ रहता है।
गंगा, जो हिमालय से निकलती है, हिंदुओं के लिए एक पूजा स्थल है। इसके पानी को कई महीनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है, और यह खराब नहीं होता। धार्मिक त्योहारों के दौरान लाखों लोग स्नान करते हैं, फिर भी कोई महामारी या बीमारी नहीं फैलती। गंगा के पानी की शुद्धता का राज उसके अंदर मौजूद तीन तत्वों में है।
राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी एवं अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने गंगा पर एक अध्ययन किया, जिसमें यह पाया गया कि गंगा के पानी में स्वच्छता बनाए रखने की क्षमता है। गंगा जल में बैक्टीरियोफेज की उच्च मात्रा होती है, जो इसे प्रदूषित होने से रोकता है। यह अध्ययन केंद्र सरकार के स्वच्छ गंगा मिशन के तहत किया गया था।
इस रिसर्च में गंगा को तीन हिस्सों में बांटा गया: गोमुख से हरिद्वार, हरिद्वार से पटना, और पटना से गंगासागर।
डॉ. कृष्ण खैरनार के नेतृत्व में रिसर्चरों ने गंगा के 50 विभिन्न स्थानों से पानी, नदी की रेत और मिट्टी के सैंपल लिए। उन्होंने पिछले कुंभ मेले के दौरान भी सैंपल इकट्ठा किए। अध्ययन में पाया गया कि गंगा जल में बैक्टीरियोफेज मौजूद हैं, जो कीटाणुओं को नष्ट करते हैं।
इसके अलावा, गंगा के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा भी अधिक है, जो 20 मिलीग्राम प्रति लीटर तक पाई गई। टेरपिन नामक एक फाइटोकेमिकल भी गंगा जल में मौजूद है। ये सभी तत्व गंगा के पानी को शुद्ध रखते हैं।
रिसर्चरों ने यह भी जांचा कि क्या ये गुण केवल गंगा में हैं या अन्य नदियों में भी। यमुना और नर्मदा के पानी पर भी अध्ययन किया गया, लेकिन पाया गया कि गंगा जल में मौजूद तत्व इन नदियों में कम मात्रा में हैं।
इस समय प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का आयोजन हो रहा है, जहां लाखों श्रद्धालु गंगा में स्नान कर रहे हैं। गंगा का पानी स्नान के पांच किलोमीटर दूर जाकर भी शुद्ध हो जाता है। गंगा नदी की स्वच्छता का यह गुण नागपुर के रिसर्चरों की 12 साल की मेहनत का परिणाम है।