गर्मियों के मौसम में बच्चों की सेहत को लेकर कई परेशानियां सामने आती हैं, जिनमें से एक आम समस्या है नाक से खून आना (Nosebleed in Children During Summer)। खासतौर पर 3 से 10 साल की उम्र के बच्चों में यह समस्या अधिक देखी जाती है। गर्मियों में वातावरण में नमी की कमी के कारण हवा अत्यधिक सूखी हो जाती है, जिससे बच्चों की नाक की झिल्लियां सूखने लगती हैं और रक्त वाहिकाएं फटने लगती हैं। इसके अतिरिक्त बार-बार नाक खुजलाना या मामूली चोट लगना भी नकसीर का कारण बन सकता है। एलर्जी या साइनस की समस्या से जूझ रहे बच्चों में भी गर्मियों में नकसीर की आशंका बढ़ जाती है।
गर्मियों में सूखी और गर्म हवा के कारण बच्चों की नाक की अंदरूनी त्वचा यानी म्यूकोसा सूख जाती है। जब नाक के अंदरूनी हिस्से में नमी नहीं रहती, तो वहां की छोटी रक्त वाहिकाएं कमजोर होकर फट जाती हैं। इसके अलावा बार-बार नाक को रगड़ना, नाक में चोट लगना या बहुत गर्म और मसालेदार चीजें खाना भी इस समस्या को बढ़ा सकता है। वातावरण में धूल, प्रदूषण और एलर्जी के तत्व भी नकसीर को ट्रिगर कर सकते हैं।
बच्चों को नकसीर से बचाने के लिए कुछ आसान और प्रभावी घरेलू उपाय अपनाए जा सकते हैं। सबसे पहले यह जरूरी है कि शरीर को डिहाइड्रेशन से बचाया जाए। इसके लिए बच्चों को पर्याप्त मात्रा में पानी, नारियल पानी और शरबत आदि पीने के लिए प्रोत्साहित करें।
जब भी बच्चे धूप में बाहर निकलें, तो उनका मुंह और नाक किसी साफ कपड़े या मास्क से ढककर रखें ताकि गर्म हवा सीधे नाक को नुकसान न पहुंचाए। साथ ही बच्चों के खानपान का विशेष ध्यान रखें। गर्म और तीखे मसालेदार खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें, क्योंकि ये नाक की रक्त वाहिकाओं पर अतिरिक्त दबाव डालते हैं और नकसीर की समस्या को बढ़ा सकते हैं।
अगर बच्चे को बार-बार नकसीर की समस्या हो रही हो, तो नाक में हल्के मॉइश्चराइजर या सेलाइन स्प्रे का इस्तेमाल करें जिससे नाक की नमी बनी रहे।
नाक से खून आने की स्थिति में घबराने की बजाय तुरंत सही प्राथमिक उपचार करना बेहद जरूरी है।
अगर बार-बार या लंबे समय तक नाक से खून बहता रहे, बच्चे को चक्कर आने लगे या नकसीर के साथ अन्य लक्षण जैसे बुखार, कमजोरी, चक्कर या सांस लेने में दिक्कत हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। कुछ मामलों में यह किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का संकेत भी हो सकता है।