Ashadh Masik Shivratri: आषाढ़ मासिक शिवरात्रि पर बनेगा विशेष संयोग, ऐसे करें भोलेनाथ को प्रसन्न!
TV9 Bharatvarsh June 23, 2025 02:42 PM

पंचांग के अनुसार, हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है. आषाढ़ माह की मासिक शिवरात्रि आज यानी 23 जून को मनाई जा रही है. इस दिन पूरे मनोभाव से भोलेनाथ की पूजा की जाती है और विधिपूर्वक व्रत किया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि पर महादेव की पूजा करने से जीवन से सभी कष्ट दूर जाते हैं. ऐसा कहते हैं कि मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से कुंवारी लड़कियों को अच्छे वर की प्राप्ति होती है. वहीं, विवाहित महिलाएं मासिक शिवरात्रि व्रत को रखती हैं, तो वैवाहिक जीवन खुशहाल होता है.

आषाढ़ मासिक शिवरात्रि कब है?

हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 23 जून की रात 10:10 मिनट पर शुरू होगी. वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन 24 जून को होगा. ऐसे में आषाढ़ मासिक शिवरात्रि का व्रत 23 जून, सोमवार के दिन रखा जाएगा.

आषाढ़ मासिक शिवरात्रि पूजा समय
  • प्रथम प्रहर की पूजा का समय – 23 जून रात 6 बजे से 9 बजे के बीच.
  • दूसरे प्रहर की पूजा का समय – रात 9 से लेकर 12 बजे के बीच.
  • तीसरे प्रहर की पूजा का समय – 12 बजे से 3 बजे के बीच.
  • चौथे प्रहर की पूजा का समय – 24 जून सुबह 6 बजे .

मासिक शिवरात्रि पर निशिता काल की पूजा का विशेष महत्व होता है. ऐसे में आषाढ़ मासिक शिवरात्रि निशिता काल पूजा का समय 23 जून रात 12:03 मिनट से 24 जून को तड़के रात 12:44 मिनट के बीच रहेगा.

आषाढ़ मासिक शिवरात्रि पर शुभ योग

आषाढ़ मासिक शिवरात्रि सोमवार के दिन पड़ रही है और सोमवार को भगवान शिव का दिन माना गया है, जो कि भोलेनाथ की पूजा के लिए समर्पित है. इसके साथ ही, इस दिन प्रदोष व्रत भी रखा जाएगा. ऐसे में मासिक शिवरात्रि, प्रदोष व्रत और सोमवार तीनों का बेहद खास संयोग बन रहा है. इस दिन भगवान शिव के लिए व्रत रखने से तिगुना फायदा मिलेगा.

मासिक शिवरात्रि की पूजा कैसे करें?

मासिक शिवरात्रि की पूजा करने के लिए सुबह उठकर स्नान करें और पूजा का संकल्प लें. अगर आप व्रत करना चाहते हैं, तो व्रत का संकल्प लें. फिर दिनभर व्रत के नियमों का पालन करें. सुबह में शिव मंदिर जाकर महादेव के दर्शन करें. शाम के समय मंदिर जाकर मासिक शिवरात्रि की पूजा करें. अब शिवलिंग पर जल से अभिषेक करें. इसके बाद गाय के दूध से अभिषेक करें. अब शिवलिंग की पूजा करके भोलेनाथ की आरती करें. भोलेनाथ की पूजा करते हुए पूजा सामग्री में बेलपत्र, अबीर, धतूरा और रोली इस्तेमाल करना न भूलें. इसके बाद शिवजी को भोग लगाकर पूजा का समापन करें.

(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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