मशरूम की खेती: महेंद्रगढ़ के योगेंद्र ने बदली अपनी किस्मत, सालाना कमाई 55 लाख रुपये: मशरूम की खेती ने हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के किसान योगेंद्र यादव की जिंदगी को पूरी तरह से बदल दिया है। खायरा गांव के इस किसान ने जल संकट को एक अवसर में बदलते हुए चार साल में मशरूम उत्पादन से 55 लाख रुपये की वार्षिक आय प्राप्त की है।
उनकी मेहनत और हरियाणा सरकार की प्रोत्साहन नीतियों ने उन्हें ऑर्गेनिक खेती में एक उदाहरण बना दिया है। आज योगेंद्र का ‘महेंद्रगढ़ मशरूम फार्म’ दिल्ली, गुरुग्राम और रेवाड़ी में ताजे मशरूम की आपूर्ति कर रहा है।
जल संकट से शुरू हुआ सफर: 2022 में योगेंद्र के खेत का बोरवेल जल संकट के कारण सूख गया, जिससे पारंपरिक खेती करना मुश्किल हो गया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र महेंद्रगढ़, मशरूम सेंटर मुरथल और गुरुग्राम से प्रशिक्षण लिया और उसी वर्ष ‘महेंद्रगढ़ मशरूम फार्म’ की स्थापना की।
पहले साल में उन्होंने 20 क्विंटल मशरूम से 2.5 लाख रुपये कमाए। अगले वर्ष उत्पादन बढ़कर 200 क्विंटल और आय 15 लाख रुपये हो गई। उनकी मेहनत ने मशरूम की खेती को एक लाभकारी व्यवसाय में बदल दिया।
उत्पादन और नवाचार का विस्तार: 2024 में योगेंद्र ने खाद यूनिट की शुरुआत की, जिससे उत्पादन 900 क्विंटल तक पहुंचा और आय 25 लाख रुपये हो गई। इसके बाद उन्होंने दो आधुनिक यूनिट्स स्थापित कीं। अब उनका उत्पादन 1100 क्विंटल और वार्षिक आय 55 लाख रुपये है। वे सात प्रकार के मशरूम, जैसे सफेद बटन और पिंक ओयस्टर, उगाते हैं।
मशरूम से नमकीन, बिस्किट, लड्डू और अचार जैसे मूल्यवर्धित उत्पाद बनाए जाते हैं, जिनकी बाजार में अच्छी मांग है। उनकी प्रोसेसिंग यूनिट में 12 से अधिक महिलाओं को रोजगार मिला है, और वे हर महीने 50 युवाओं को प्रशिक्षण भी देते हैं।
पुरस्कार और प्रेरणा: योगेंद्र की सफलता को देखते हुए उन्हें हरियाणा के प्रगतिशील किसान पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनकी कहानी अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
वे कहते हैं कि पारंपरिक खेती को छोड़कर ऑर्गेनिक और बागवानी खेती अपनानी चाहिए, क्योंकि यह कम लागत में अधिक लाभ देती है। योगेंद्र का अगला लक्ष्य 1500 क्विंटल मशरूम उत्पादन करना है। उनकी मेहनत और नवाचार ने साबित किया है कि खेती में अपार संभावनाएं हैं। यह कहानी हरियाणा के किसानों को नई दिशा दिखाती है।