ससुराल की प्रॉपर्टी मांग बैठा दामाद – कोर्ट के फैसले ने सबको चौंका दिया Son In Law Property Rights
Rahul Mishra (CEO) June 24, 2025 12:29 AM

कानून संपत्ति के अधिकारों में बेटा – हमारे देश में प्रॉपर्टी से जुड़े विवाद कोई नई बात नहीं हैं। लेकिन जब मामला पारिवारिक रिश्तों से जुड़ जाए, तो कानूनी लड़ाई और भी पेचीदा हो जाती है। ऐसा ही एक ताजा मामला सामने आया है जहां एक दामाद ने ससुराल की संपत्ति में अपना हक जता दिया। सोचिए, शादी के बाद सालों तक ससुराल में रहने वाला दामाद अब कोर्ट में जाकर कहता है कि ये प्रॉपर्टी मेरी भी है। लेकिन कोर्ट ने जो फैसला सुनाया, वो किसी करारा झटका कम नहीं था।

अब चलिए इस मामले की पूरी कहानी विस्तार से जानते हैं और समझते हैं कि क्या वाकई दामाद का ससुराल की संपत्ति में कोई हक बनता है या नहीं।

क्या है पूरा मामला?

एक शख्स की शादी हुई और वो अपनी पत्नी के साथ ससुराल में ही रहने लगा। शुरू-शुरू में तो सब ठीक चला, लेकिन कुछ सालों बाद रिश्तों में खटास आ गई। दामाद का दावा था कि उसने ससुराल की प्रॉपर्टी में काफी पैसा लगाया है, मरम्मत कराई है, रंगाई-पुताई करवाई है और कुछ हिस्सा बनवाने में भी मदद की है। ऐसे में उसे उस घर में हिस्सा मिलना चाहिए क्योंकि वो सालों से वहीं रह रहा है और आर्थिक योगदान भी दिया है।

जब बात बातचीत से नहीं सुलझी तो मामला सीधे कोर्ट पहुंच गया।

कोर्ट ने क्या कहा?

दामाद को शायद उम्मीद रही होगी कि कोर्ट उसकी बातें सुनकर उसे हिस्सा दिला देगी। लेकिन हाईकोर्ट का फैसला एकदम सख्त और साफ था।

कोर्ट ने कहा – “दामाद का ससुराल की प्रॉपर्टी पर कोई कानूनी अधिकार नहीं होता जब तक सास-ससुर खुद उसे हिस्सा देने की वसीयत या गिफ्ट न करें।”

यानि सिर्फ इसलिए कि किसी की शादी किसी घर की बेटी से हुई है, वो उस घर की संपत्ति का मालिक नहीं बन जाता।

शादी का रिश्ता, कोई गारंटी नहीं!

कोर्ट ने आगे और भी बातें साफ कर दीं:

  • शादी का मतलब यह नहीं कि दामाद को ससुराल वालों की प्रॉपर्टी में कोई अधिकार मिल गया।
  • भारतीय कानून के मुताबिक, संपत्ति का हक सिर्फ कानूनी वारिसों को मिलता है। इसमें बेटे-बेटियां, पति-पत्नी आते हैं – लेकिन दामाद नहीं।
  • अगर सास-ससुर खुद से अपनी संपत्ति में दामाद को हिस्सा देना चाहते हैं, तो वे वसीयत या गिफ्ट डीड के जरिए ऐसा कर सकते हैं। लेकिन बिना दस्तावेज के सिर्फ दामाद का “मैंने पैसा लगाया” कहना काफी नहीं है।

क्या कहता है भारतीय कानून?

भारतीय कानून यानी Hindu Succession Act, 1956 के अनुसार:

  • अगर कोई व्यक्ति बिना वसीयत के गुजरता है, तो उसकी संपत्ति उसके बच्चों में बराबर बंटती है।
  • दामाद को कोई भी हिस्सा तभी मिल सकता है जब उसे कानूनी रूप से नामित किया गया हो।
  • यानि शादी के नाते कोई भी ससुराल की प्रॉपर्टी का हकदार नहीं बनता।

सोशल मीडिया पर मचा बवाल

जैसे ही ये फैसला सामने आया, सोशल मीडिया पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आने लगीं। कुछ लोग दामाद को लालची कह रहे थे, तो कुछ कह रहे थे – “अगर उसने सालों तक घर में पैसा लगाया है, तो क्या उसे कुछ नहीं मिलना चाहिए?”

लेकिन सच्चाई यही है कि कोर्ट और कानून भावनाओं से नहीं, दस्तावेजों और सबूतों से चलता है। यानी किसी रिश्ते से प्रॉपर्टी नहीं मिलती, प्रॉपर्टी तभी मिलती है जब उसके कागज आपके नाम हों।

दामाद के लिए सबक

अगर कोई दामाद लंबे समय तक ससुराल में रह रहा है और वह घर में पैसा भी लगा रहा है, तो उसे पहले ही किसी समझौते या गिफ्ट डीड के जरिए अपनी स्थिति क्लियर करनी चाहिए। नहीं तो बाद में जाकर कोर्ट में रोने से कुछ नहीं होगा।

ये मामला बाकी लोगों के लिए भी एक सबक है कि रिश्ते मजबूत हों, ये अच्छी बात है—but जब बात संपत्ति की हो, तो कागज-पत्र जरूरी हैं।

इस पूरे मामले का सीधा जवाब ये है कि दामाद का ससुराल की प्रॉपर्टी पर कोई हक नहीं बनता जब तक कि उसे कानूनी रूप से हिस्सेदार न बनाया जाए। शादी सिर्फ एक रिश्ता है, संपत्ति में हिस्सेदारी की गारंटी नहीं।

कोर्ट का ये फैसला सभी दामादों और परिवारों के लिए एक बड़ा संदेश है – कि कानून के हिसाब से चलो, भावनाओं के नहीं।

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