ओला-उबर से अब टैक्सी ड्राइवरों को मिलेगी आजादी, सरकार की नई स्कीम से सवारी और ड्राइवर दोनों का होगा फायदा Taxi driver app – अभी पढ़ें ये खबर
Rahul Mishra (CEO) June 24, 2025 07:26 PM

टैक्सी ड्राइवर ऐप: देश में टैक्सी ड्राइवरों और यात्रियों दोनों के लिए नई सहकारी टैक्सी सेवा एक बड़ा बदलाव लेकर आने वाली है. अब ड्राइवरों को ओला-उबर जैसी प्राइवेट कंपनियों को मुनाफे का बड़ा हिस्सा देने की जरूरत नहीं होगी. इसके बजाय, वे खुद मालिक होंगे, और यात्रियों को भी कम किराए में पारदर्शी सेवा मिलेगी.

पायलट प्रोजेक्ट चार बड़े शहरों में होगा लॉन्च

गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की सोच के आधार पर यह सेवा मल्टीस्टेट कोऑपरेटिव एक्ट के तहत पंजीकृत की गई है.

  • 2025 के अंत तक यह सेवा दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और पुणे में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू होगी.
  • 2026 तक देश के सभी प्रमुख राज्यों की राजधानियों में इसका विस्तार किया जाएगा.
  • आगे चलकर ऑटो, ई-रिक्शा चालकों को भी इससे जोड़ा जाएगा.

ड्राइवरों को मिलेगा मालिकाना हक

इस सहकारी मॉडल में ड्राइवरों को किसी प्राइवेट कंपनी को 25-30% कमीशन नहीं देना पड़ेगा.

  • सभी लाभ सीधे ड्राइवरों के बीच वितरित होंगे.
  • समिति द्वारा तीन-चार प्रतिशत का मामूली शुल्क ही लिया जाएगा, जो समिति के सामाजिक कल्याण कोष में जाएगा.
  • इस कोष का उपयोग बीमा, पेंशन और सामाजिक सुरक्षा जैसी सुविधाएं देने में होगा.

यात्रियों को पारदर्शी किराया

किराया पूरी तरह पारदर्शी होगा और इसे सहकारी समिति तय करेगी, जो सरकारी मानकों के अनुसार होगा.

  • भुगतान के लिए UPI, डेबिट कार्ड, नकद सभी विकल्प मौजूद होंगे.
  • ऐप पर महिला सुरक्षा के फीचर, रेटिंग सिस्टम, और ड्राइवर प्रोफाइल जैसी सुविधाएं भी होंगी.

एक यूनिफाइड ऐप बनाएगा बड़ा अंतर

  • टैक्सी सेवा के संचालन के लिए एक मोबाइल ऐप विकसित किया जा रहा है.
  • इस ऐप को सिर्फ सहकारी समिति के सदस्य ड्राइवर ही चला सकेंगे.
  • एप का कंट्रोल और डेटा ड्राइवरों के हाथ में रहेगा.
  • ऐप हिंदी, अंग्रेजी और स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध होगा.

शुरुआती चरण में कितनी टैक्सियां होंगी?

प्रारंभ में, हर शहर में करीब 500 टैक्सी ड्राइवरों को जोड़ा जाएगा, जो सहकारी समिति के सदस्य होंगे.

  • प्रत्येक शहर में एक स्थानीय समिति बनेगी.
  • सभी सदस्य केवल उसी ऐप का उपयोग कर सकेंगे जो समिति द्वारा नियंत्रित होगा.

किराया कौन तय करेगा और कैसे?

  • किराया तय करने और नियम बनाने का अधिकार समिति के पास होगा.
  • ऐप के फीचर्स भी सदस्य ड्राइवरों की सहमति से तय किए जाएंगे.
  • इससे ड्राइवरों को लगेगा कि वे केवल चालक नहीं बल्कि इस सिस्टम के हिस्सेदार हैं.

किन संस्थानों की भूमिका है इस परियोजना में?

नेफेड, अमूल, नाबार्ड, इफको, कृभको और एनसीडीसी जैसी बड़ी सहकारी संस्थाएं इस प्रोजेक्ट में भागीदार हैं.

  • नेफेड प्रारंभिक पूंजी और निवेश प्रबंधन का काम देखेगा.
  • स्टार्टअप इंडिया और कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) ऐप का तकनीकी विकास करेंगे.
  • एनसीडीसी डेटा कलेक्शन और नेटवर्क तैयार करने में सहयोग देगा.

स्थानीय समितियों को मिलेगी जिम्मेदारी

राज्य सहकारिता विभाग स्थानीय स्तर पर समितियों के गठन और संचालन की निगरानी करेगा.

  • पंजीकरण पूरा होते ही ऐप का ट्रायल रन शुरू किया जाएगा.
  • इसका उद्देश्य है कि शिकायतों का निवारण स्थानीय स्तर पर ही तुरंत हो सके.

भविष्य में क्या होगा विस्तार?

  • दूसरे और तीसरे चरण में यह सेवा छोटे शहरों और कस्बों तक भी पहुंचेगी.
  • बाद में ऑटो, ई-रिक्शा और अन्य परिवहन साधनों को भी इस मॉडल में शामिल किया जाएगा.

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