बाजार में विभिन्न प्रकार के घी और तेल उपलब्ध हैं, जिनमें से डालडा एक प्रमुख नाम है। हालांकि, राजीव जी का मानना है कि डालडा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। उन्होंने सलाह दी कि इसे पूरी तरह से छोड़ देना चाहिए। यदि आप चीनी और डालडा का उपयोग नहीं करते हैं, तो आप 148 बीमारियों से बच सकते हैं।
आप सोच रहे होंगे कि डालडा के स्थान पर क्या उपयोग करें? राजीव जी ने मूंगफली का तेल, तिल का तेल, सरसों का तेल और नारियल का तेल सुझाया। उन्होंने सोयाबीन के तेल से दूर रहने की चेतावनी दी।
राजीव जी ने एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठाया: जब हम भगवान की पूजा करते हैं, तो हम सोयाबीन की दाल क्यों नहीं रखते? उन्होंने कहा कि जो चीजें भगवान को अर्पित नहीं की जा सकतीं, उन्हें हमें अपने शरीर में नहीं डालना चाहिए। सोयाबीन का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
सोयाबीन का सेवन करने पर शरीर उसे पचा नहीं पाता, क्योंकि इसे पचाने के लिए आवश्यक एंजाइम हमारे शरीर में नहीं होते।
राजीव जी ने बताया कि सोयाबीन में प्रोटीन तो होता है, लेकिन उसे पचाने के लिए आवश्यक एंजाइम्स नहीं होते। इसलिए, सोयाबीन का तेल, दाल, या दूध नहीं खाना चाहिए।
इसके बजाय, मूंगफली, तिल, सूरजमुखी और सरसों के तेल का उपयोग करें। ये सभी स्वास्थ्य के लिए बेहतर हैं।
राजीव जी ने रिफाइंड तेल के बारे में भी चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि यह इतना हानिकारक है कि इसे बच्चों की मालिश में भी नहीं लगाया जा सकता।
उन्होंने बताया कि पिछले 20-25 वर्षों में रिफाइंड तेल का प्रचलन बढ़ा है, लेकिन यह स्वास्थ्य के लिए खतरा है।
राजीव जी ने यह भी बताया कि शरीर को अच्छे फैट की आवश्यकता होती है, जिसे गुड फैट कहा जाता है। यह एचडीएल के रूप में जाना जाता है।
उन्होंने कहा कि पामोलिन और डालडा तेल हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक हैं।
राजीव जी ने सलाह दी कि जब भी आप बाहर खाना खाएं, तो पहले पूछें कि खाना किस तेल में बनाया गया है। यदि उत्तर डालडा या रिफाइंड है, तो वहां का खाना न खाएं।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि यदि आप बाजार में फरसान खरीदने जाएं, तो पहले पूछें कि वह किस तेल में बनी है।