पैतृक संपत्ति अधिकार – भारत में जमीन-जायदाद के मामले हमेशा संवेदनशील रहे हैं, खासकर जब बात आती है पैतृक संपत्ति की। बहुत से लोग मान लेते हैं कि जो जमीन या मकान उनके नाम पर है, वह चाहे जैसे बेच सकते हैं, लेकिन जब बात पैतृक संपत्ति की होती है, तो मामला सिर्फ आपके अकेले के अधिकार का नहीं होता। कानून के अनुसार, ये संपत्ति आपकी नहीं, बल्कि आपके पूरे परिवार की होती है और इसे बेचने के लिए कुछ बेहद जरूरी शर्तें होती हैं।
अगर आप इन शर्तों को नज़रअंदाज कर पैतृक संपत्ति बेच देते हैं, तो आपको कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने पड़ सकते हैं और संपत्ति बिक्री रद्द भी हो सकती है। इसलिए आइए इस पूरे मामले को आसान भाषा में समझते हैं।
सबसे पहले तो ये जानना जरूरी है कि पैतृक संपत्ति किसे कहते हैं। वो जमीन या मकान जो आपको आपके पिता, दादा, परदादा या उनके पूर्वजों से बिना किसी वसीयत के मिली हो, उसे पैतृक संपत्ति कहा जाता है।
इसका मतलब है कि अगर आपके दादा के नाम कोई जमीन थी, जो उन्होंने आपके पिता को बिना वसीयत के दी, और अब वह आपके पास आ गई है – तो वह जमीन सिर्फ आपकी नहीं, बल्कि आपके साथ-साथ आपके भाई-बहनों की, माता जी की और अन्य वैध उत्तराधिकारियों की भी है।
बिलकुल नहीं।
सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले में साफ कहा गया है कि पैतृक संपत्ति पर सभी कानूनी वारिसों का समान हक होता है। इसका मतलब यह है कि अगर आप घर बेचने की सोच रहे हैं, तो आपको अपने सभी हिस्सेदारों – चाहे वो बेटा हो, बेटी, पत्नी या मृत बेटे की संतान – की लिखित सहमति लेनी होगी।
उत्तराधिकारी | अधिकार स्थिति |
---|---|
बेटा | समान हकदार |
बेटी (2005 के बाद से) | बराबरी का हकदार |
पत्नी | वैध उत्तराधिकारी |
मृत बेटे की संतान | उत्तराधिकारी |
यानि अगर आप सोचते हैं कि बेटे से पूछ लिया, बस काफी है, तो ऐसा नहीं है। बेटी की सहमति भी उतनी ही जरूरी है जितनी बेटे की।
अगर आपने सभी वारिसों की इजाजत के बिना संपत्ति बेच दी, तो क्या होगा? तो ज़रा ध्यान दें:
अगर आप कानूनी पचड़ों से बचना चाहते हैं, तो इन स्टेप्स को फॉलो करें:
हां।
अगर सभी वारिस आपस में बैठकर समझौता कर लें और अपने-अपने हिस्से तय कर लें, तो इसे रजिस्टर्ड करवाकर पंजीकृत पारिवारिक निपटान बनाया जा सकता है। फिर हर व्यक्ति अपने हिस्से को स्वतंत्र रूप से बेच सकता है।
अगर आप पैतृक संपत्ति बेचने का सोच रहे हैं, तो सबसे जरूरी बात है – सभी कानूनी वारिसों की सहमति लेना। बिना इस कदम के आप न सिर्फ केस में फंस सकते हैं, बल्कि आपके ऊपर फ्रॉड का आरोप भी लग सकता है और संपत्ति की बिक्री रद्द भी हो सकती है।
इसलिए, कोई भी लेन-देन करने से पहले कानूनी सलाह ज़रूर लें, सारे दस्तावेज़ और प्रमाण पत्र तैयार रखें, और हर कदम सावधानी से उठाएं। आखिरकार, एक छोटी सी गलती आपके पूरे परिवार को मुसीबत में डाल सकती है