नई दिल्ली: प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की एक गंभीर साजिश का खुलासा हुआ है। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने अदालत में प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर बताया कि पीएफआई ने लगभग 972 व्यक्तियों को निशाना बनाने के लिए एक सूची तैयार की थी, जिसमें केरल के एक पूर्व जिला न्यायाधीश का नाम भी शामिल है।
एनआईए के अनुसार, पीएफआई ने अपनी खुफिया शाखा ‘रिपोर्टर्स विंग’ के माध्यम से विभिन्न समुदायों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी इकट्ठा की थी। इस सूची में लक्षित व्यक्तियों के नाम, पद, आयु, तस्वीरें और अन्य व्यक्तिगत जानकारी शामिल थी। एनआईए ने अदालत को बताया कि पीएफआई की तीन प्रमुख इकाइयां थीं: ‘रिपोर्टर्स विंग’, ‘फिजिकल एंड आर्म्स ट्रेनिंग विंग/पीई’, और ‘सर्विस विंग/हिट टीम्स’।
दस्तावेजों में यह भी उल्लेख किया गया है कि ‘रिपोर्टर्स विंग’ ने समाज के प्रमुख व्यक्तियों के अलावा हिंदू समुदाय के नेताओं की निजी गतिविधियों और दिनचर्या से संबंधित सूचनाएं भी एकत्र की थीं।
एनआईए ने अदालत में कहा कि यह डेटा पीएफआई के जिला स्तर पर संकलित किया जाता था और फिर राज्य स्तर के अधिकारियों को सूचित किया जाता था। एजेंसी ने बताया कि इन जानकारियों को नियमित रूप से अपडेट किया जाता था और आतंकवादी संगठन द्वारा आवश्यकतानुसार व्यक्तियों को निशाना बनाने के लिए उपयोग किया जाता था।
विशेष एनआईए अदालत ने इन दस्तावेजों का उल्लेख करते हुए 2022 के एस के श्रीनिवासन हत्याकांड में कुछ आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक वरिष्ठ पदाधिकारी एस के श्रीनिवासन की कथित तौर पर 16 अप्रैल, 2022 को पीएफआई कार्यकर्ताओं ने उनकी दुकान पर हत्या कर दी थी।
जमानत याचिका का विरोध करते हुए एनआईए ने अदालत को बताया कि कई आरोपियों से बरामद दस्तावेजों से 972 लोगों की एक सूची का पता चला है, जिसमें ‘अन्य समुदाय’ के केरल के एक पूर्व जिला न्यायाधीश भी शामिल हैं, और ये सभी प्रतिबंधित संगठन के निशाने पर थे। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने सितंबर 2022 में पीएफआई पर देशव्यापी प्रतिबंध लगा दिया था।