FASTAG वार्षिक पास 2025 – अगर आप बाइक चलाते हैं और अक्सर लंबी दूरी की यात्राओं पर निकलते हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। हाल ही में भारत सरकार ने एक नई पॉलिसी लागू की है, जिसके तहत बाइक चालकों को भी अब ₹1,800 का सालाना टोल टैक्स देना होगा। अब तक ये टैक्स कार, ट्रक और भारी वाहनों पर ही लागू होता था, लेकिन अब बाइकर्स को भी इससे छूट नहीं मिलने वाली।
इस फैसले के बाद से बाइकर्स के बीच खासा नाराज़गी का माहौल है। सोशल मीडिया पर बहसें चल रही हैं, रोड ट्रिपर्स के ग्रुपों में हलचल मची है और कई राज्यों में बाइकर्स विरोध भी कर रहे हैं। आइए विस्तार से समझते हैं कि ये नई पॉलिसी क्या है, इसका असर आम लोगों पर कैसे पड़ेगा और आगे सरकार से क्या उम्मीद की जा सकती है।
सरकार ने साफ कर दिया है कि अब बाइकर्स को साल में एकमुश्त ₹1,800 का भुगतान करना होगा, जिससे वे देशभर में टोल सड़कों का इस्तेमाल कर सकें। पहले बाइक सवारों को टोल प्लाज़ा पर टैक्स से छूट मिलती थी, लेकिन अब वह सुविधा खत्म कर दी गई है।
इतना ही नहीं, जो FASTag पास पहले बाइकर्स के लिए वैकल्पिक और सुविधाजनक विकल्प था, उसे भी अब बंद कर दिया गया है। यानी अब बाइकर्स को हर हाल में यह टैक्स देना ही होगा, चाहे वे टोल रोड का इस्तेमाल करें या नहीं।
इस फैसले को लेकर सबसे ज्यादा नाराज़गी इसलिए है क्योंकि बाइक एक आम आदमी का साधन है। कार या SUV की तरह यह लग्ज़री नहीं, बल्कि रोज़ाना इस्तेमाल में आने वाला एक जरूरत का वाहन है। ऐसे में बाइक चालकों को भी टोल टैक्स के दायरे में लाना लोगों को नाइंसाफी लग रही है।
कुछ प्रमुख आपत्तियाँ:
सरकार का कहना है कि यह नई नीति ट्रैफिक मैनेजमेंट, टोल रोड्स की देखरेख और यात्रियों को बेहतर सुविधा देने के लिए लागू की जा रही है। इसके साथ ही सरकार ने कुछ विकल्प भी सुझाए हैं:
हालांकि इन सुविधाओं को लागू होने में वक्त लग सकता है और तब तक आम बाइकर्स को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
नई नीति के बाद बाइकर्स अब अपने खर्चों को कंट्रोल करने और सफर को सस्ता बनाने के उपाय खोज रहे हैं:
कुछ बाइकर्स ने ऑनलाइन याचिकाएँ भी दायर की हैं और कई जगह विरोध प्रदर्शन भी हुए हैं। खासकर वे लोग जो डिलीवरी ब्वॉय या दोपहिया से प्रोफेशनल काम करते हैं, उनके लिए यह टैक्स और ज्यादा भारी पड़ रहा है।
सरकार ने बयान जारी करते हुए कहा है कि यह नीति देशभर में टोल सिस्टम को समान और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से लागू की गई है। साथ ही सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि:
सरकार यह भी कह रही है कि अगर ज्यादा विरोध हुआ और व्यवहारिक दिक्कतें आईं, तो नीति की समीक्षा की जा सकती है।
फिलहाल यह नीति लागू कर दी गई है और सरकार इसे धीरे-धीरे देशभर में लागू करने की योजना पर काम कर रही है। लेकिन इसमें कई चुनौतियाँ हैं:
अगर सरकार वाकई यह चाहती है कि बाइकर्स को भी टैक्स दिया जाए, तो उन्हें कोई न कोई सुविधा भी देनी होगी, जैसे फास्ट लेन, सेफ पार्किंग, हेलमेट सब्सिडी या कुछ और।
इस नई नीति को लेकर राय बंटी हुई है। कुछ लोग इसे ट्रैफिक मैनेजमेंट और विकास के लिए जरूरी कदम मानते हैं, तो कुछ इसे आम आदमी पर बोझ मानते हैं। ज़रूरत इस बात की है कि सरकार अपनी योजना को ज़मीनी स्तर पर उतारे और लोगों को समझाए कि इसका फायदा उन्हें कैसे मिलेगा।
जब तक ऐसा नहीं होता, बाइकर्स की नाराज़गी बनी रह सकती है। उम्मीद है कि सरकार संवाद और समझदारी से इस समस्या का हल निकालेगी।