RSS-BJP का नकाब फिर उतरा, इन्हें संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहिए: राहुल गांधी
Navjivan Hindi June 28, 2025 04:42 AM

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों की समीक्षा करने संबंधी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले के बयान को लेकर शुक्रवार को आरोप लगाया कि आरएसएस का नकाब फिर से उतर गया है और उसे संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहिए।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘आरएसएस का नक़ाब फिर से उतर गया। संविधान इन्हें चुभता है क्योंकि वो समानता, धर्मनिरपेक्षता और न्याय की बात करता है।’’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘आरएसएस-बीजेपी को संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहिए। ये बहुजनों और ग़रीबों से उनके अधिकार छीनकर उन्हें दोबारा ग़ुलाम बनाना चाहते हैं। संविधान जैसा ताक़तवर हथियार उनसे छीनना इनका असली एजेंडा है।’’ उन्होंने कहा कि आरएसएस ये सपना देखना बंद करे क्योंकि उसे सफल नहीं होने दिया जाएगा। हर देशभक्त भारतीय आख़िरी दम तक संविधान की रक्षा करेगा।

खास बात है कि होसबाले के बयान पर चौतरफा विरोध के बावजूद मोदी सरकार और बीजेपी की ओर से इसका खंडन करने के बजाय इसकी पुष्टि में ही बयान दिए जा रहे हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने होसबाले के बयान का समर्थन करते हुए यहां तक कह दिया है कि धर्मनिरपेक्षता हमारी संस्कृति का मूल नहीं है। संविधान की प्रस्तावना से 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द हटा देना चाहिए।

कांंग्रेस ने शिवराज के बयान को पोस्ट करते हुए कहा कि ये बात मोदी सरकार में मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कही है। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान का ये बयान बीजेपी-आरएसएस की उसी सोची समझी साजिश का नतीजा है, जिसमें वे बाबा साहेब के संविधान को खत्म करना चाहते हैं। पहले आरएसएस के महासचिव ने यही बयान दिया और अब मोदी सरकार के मंत्री वही राग अलाप रहे हैं। लेकिन वे याद रखें- बाबा साहेब का दिया संविधान भारत की आत्मा है। हम हर कीमत पर संविधान की रक्षा करेंगे। ये जो चाहें कर लें, हम इनके मंसूबों को कभी कामयाब नहीं होने देंगे।

इससे पहले आपातकाल पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरएसएस सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा था, ‘‘बाबासाहेब आंबेडकर ने जो संविधान बनाया, उसकी प्रस्तावना में ये शब्द कभी नहीं थे। आपातकाल के दौरान जब मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए, संसद काम नहीं कर रही थी, न्यायपालिका पंगु हो गई थी, तब ये शब्द जोड़े गए।’’ उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर बाद में चर्चा हुई लेकिन प्रस्तावना से उन्हें हटाने का कोई प्रयास नहीं किया गया। होसबोले ने कहा, ‘‘इसलिए उन्हें प्रस्तावना में रहना चाहिए या नहीं, इस पर विचार किया जाना चाहिए।’’

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