बिना इनकी इजाजत बेची प्रॉपर्टी तो सीधे जेल! जानिए पैतृक संपत्ति से जुड़े सख्त कानून Ancestral Property Rights
Rahul Mishra (CEO) June 28, 2025 03:25 PM

पैतृक संपत्ति अधिकार – भारत में जब भी बात संपत्ति की आती है, तो सबसे पहले दिमाग में एक ही सवाल आता है – ये ज़मीन किसकी है? और अगर ज़मीन या मकान पैतृक यानी पूर्वजों से मिला हो, तो मामला और भी संवेदनशील हो जाता है। कई बार भाई-बहनों या रिश्तेदारों के बीच विवाद की जड़ यही संपत्ति बन जाती है। खासकर तब, जब परिवार का कोई एक सदस्य सबकी मर्जी के बिना ज़मीन बेच देता है।

अगर आप भी ऐसी किसी पैतृक प्रॉपर्टी के मालिक हैं या भविष्य में उसे बेचने का सोच रहे हैं, तो पहले ये आर्टिकल ध्यान से पढ़ लीजिए। वरना छोटी सी गलती आपको कोर्ट और थाने दोनों के चक्कर कटवा सकती है।

पैतृक संपत्ति होती क्या है?

सीधे शब्दों में कहें तो वो संपत्ति जो आपके दादा, परदादा या उससे पहले किसी पूर्वज से आपको मिली हो और जिसे चार पीढ़ियों तक बिना बंटवारे के आगे बढ़ाया गया हो, उसे पैतृक संपत्ति कहते हैं। इसकी खास बात ये है कि इसमें सभी कानूनी वारिसों का बराबर का हक होता है – बेटा हो, बेटी हो, पत्नी हो या माता-पिता।

क्या कोई अकेला वारिस पैतृक संपत्ति बेच सकता है?

नहीं, बिल्कुल नहीं। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के अनुसार कोई भी व्यक्ति पैतृक संपत्ति को तब तक नहीं बेच सकता, जब तक सभी अन्य कानूनी वारिसों की लिखित सहमति न हो। अगर कोई ऐसा करता है, तो बाकी वारिस उसे कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं और FIR भी दर्ज करवा सकते हैं।

कौन-कौन कर सकता है आपत्ति?

अगर एक सदस्य ने अकेले ही प्रॉपर्टी बेच दी, तो आपत्ति जताने वाले वारिसों में शामिल हो सकते हैं:

  • भाई-बहन
  • माता-पिता
  • बेटा-बेटी (चाहे नाबालिग ही क्यों न हो)
  • पत्नी
  • नाबालिग की ओर से उसका गार्जियन या वकील

कुल मिलाकर, अगर एक भी कानूनी वारिस को नजरअंदाज किया गया है, तो मामला कानूनी पचड़े में फंस सकता है।

क्या नाबालिग का भी संपत्ति में हक होता है?

हां, पूरा हक होता है। अगर संपत्ति में किसी नाबालिग का हिस्सा है तो उसे बेचने के लिए आपको कोर्ट की अनुमति लेनी होगी। बिना उसकी मर्जी या गार्जियन की सहमति के अगर आप संपत्ति बेचते हैं, तो वह बिक्री अवैध मानी जाएगी और कोर्ट उसे रद्द कर सकता है।

क्या होता है अगर बिना अनुमति के प्रॉपर्टी बेच दी जाए?

  • बाकी वारिस सिविल कोर्ट में केस दाखिल कर सकते हैं
  • FIR दर्ज करवा सकते हैं
  • बेची गई संपत्ति को रद्द करवाया जा सकता है
  • मुआवजा या दूसरी संपत्ति में बराबर हिस्से की मांग की जा सकती है

इसका मतलब है कि प्रॉपर्टी की बिक्री सिर्फ कागजों पर नहीं, कानूनी सहमति के आधार पर ही होनी चाहिए।

कानूनी तरीके से कैसे बेचे पैतृक संपत्ति?

  1. सभी वारिसों की सहमति लें – मौखिक नहीं, लिखित में।
  2. वकील से सलाह लें – बंटवारे का सही दस्तावेज बनवाएं।
  3. नोटिस भेजें – सभी वारिसों को संपत्ति बिक्री की सूचना दें।
  4. रजिस्ट्रेशन के समय सभी वारिसों की उपस्थिति हो – या फिर उनके अधिकृत प्रतिनिधि की।
  5. अगर नाबालिग वारिस हो – तो कोर्ट से गार्जियनशिप मंजूरी लेना जरूरी है।

अगर संपत्ति पहले ही बेच दी गई हो तो क्या करें?

  • आप सिविल कोर्ट में जाकर उस ट्रांजैक्शन को चैलेंज कर सकते हैं
  • FIR दर्ज करवा सकते हैं अगर आपको धोखाधड़ी या ज़बरदस्ती का शक हो
  • कोर्ट से अपने हिस्से का मुआवजा या अन्य संपत्ति में बराबरी की मांग कर सकते हैं
  • अगर सबूत पुख्ता हुए तो कोर्ट संपत्ति की बिक्री को रद्द कर सकता है

अलग-अलग धर्मों में क्या हैं नियम?

  • हिंदू लॉ – वसीयत न होने पर सभी वारिसों को समान हक। वसीयत होने पर भी उसे कोर्ट में चैलेंज किया जा सकता है।
  • मुस्लिम लॉ – केवल 1/3 संपत्ति की ही वसीयत हो सकती है, बाकी शरीयत के अनुसार बांटी जाती है।
  • क्रिश्चियन और पारसी लॉ – वसीयत के आधार पर बंटवारा होता है, लेकिन सभी वारिसों को उचित हिस्सा मिलना चाहिए।

कोर्ट से कब और कैसे मिल सकता है इंसाफ?

कोर्ट में केस दाखिल करने की कोई तय समय सीमा नहीं है, लेकिन बेहतर यही है कि प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन या प्रोबेट के समय ही आप चुनौती दें। कोर्ट मामले की जांच के बाद:

  • बिक्री रद्द कर सकता है
  • संपत्ति दोबारा बांटने का आदेश दे सकता है
  • मुआवजा तय कर सकता है

पैतृक संपत्ति का मामला बहुत नाजुक होता है। ज़रा सी लापरवाही आपको सालों तक कोर्ट में खड़ा कर सकती है। अगर आप सोचते हैं कि प्रॉपर्टी बेचकर पैसा बना लेंगे, तो रुकिए – पहले ये सुनिश्चित कीजिए कि सभी वारिसों की सहमति है या नहीं।

बिना सहमति के संपत्ति बेचने का मतलब है कानूनी जोखिम उठाना – जिसमें जेल भी हो सकती है।

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