सफर के दौरान महिला सुरक्षा पर अपना ध्यान बढ़ाया है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए सभी मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों के कोचों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। चालू वित्त वर्ष में 11 हजार से अधिक कोच में कैमरे लगाए जा रहे हैं। साथ ही अब जिस भी कोच का निर्माण होगा, उनमें एसओएस (पैनिक) बटन लगाने की तैयारी है, जो आपात स्थिति में चालक एवं सुरक्षा दल को तुरंत अलर्ट कर सकेगा।Railways increased its focus on women safety
रेलवे ने महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए कई स्तर पर कदम उठाए हैं। एआइ आधारित निगरानी प्रणाली के जरिये संदिग्ध गतिविधियों की पहचान पर काम किया जा रहा है। कोचों में लगने वाले सभी सीसीटीवी कैमरे एचडी क्वालिटी के हैं, जिनमें एक माह तक की रिकार्डिंग सुरक्षित रखी जा सकती है। सबसे ज्यादा प्राथमिकता महिला डिब्बों, स्लीपर व जनरल कोचों में सीसीटीवी लगाने को दी जा रही है। सभी कैमरे आरपीएफ कंट्रोल रूम से कनेक्ट रहेंगे। इससे निगरानी व कार्रवाई में तेजी लाई जा सकेगी। women safety during travel
रेलवे की तैयारी अगले दो वर्षों में सभी एक्सप्रेस ट्रेनों के कोचों में सीसीटीवी कैमरे लगा देने की है। महिला सुरक्षा की चुनौतियों को देखते हुए अब जितने कोच बनाए जा रहे हैं।, उनमें पैनिक बटन लगाना अनिवार्य कर दिया गया है, जो मोबाइल एप से भी जुड़ा रहेगा, ताकि आपात स्थिति में यात्री मोबाइल से भी अलर्ट भेज सके। focus on women safety during travel
देश में बनाए जा रहे सभी स्मार्ट स्टेशनों पर फेस रिकग्निशन तकनीक, सीसीटीवी निगरानी व भीड़ नियंत्रण दल की व्यवस्था की जा रही है। प्रतीक्षालयों में महिला स्टाफ की तैनाती अनिवार्य की जा रही है। रेलवे
की सूची में सात सौ से अधिक स्टेशन ‘संवेदनशील या अति-संवेदनशील’ हैं। वहां अधिक संख्या में महिला आरपीएफ की तैनातों की जा रही है। increased its focus on women safety during travel
सफर के दौरान अपराध नियंत्रण के लिए एकीकृत रणनीति Railways increased its focus on women safety during travel
रेलवे के कार्यकारी निदेशक (सूचना) दिलीप कुमार ने बताया कि ट्रेन में सफर के दौरान – अपराध नियंत्रण के लिए एकीकृत रणनीति बनाई गई है। हाल की समीक्षा में पाया गया कि ‘रेल मदद’ के माध्यम से खुफिया सूचनाओं में तेजी आई है। साथ ही ‘मेरी सहेली’ जैसी पहल ने सफर में महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ाया है।
इसे अत्यधिक व्यापक किया जा रहा है। प्रत्येक टीम में कम से कम दो सदस्य होते हैं। इनका काम रेल यात्रा के प्रारभ से अंत तक निगरानी करना है। लंबी दूरी की प्रत्येक ट्रेन में एक टीम की तैनाती की जाती है। जरूरत पड़ने पर सख्या बढ़ाई भी जाती है। अभी तक दो सौ स्टेशनों पर यह सक्रिय है।