मानसून सब्जी खेती के टिप्स: जून-जुलाई के महीनों में किसान आमतौर पर धान की रोपाई में व्यस्त रहते हैं, लेकिन जिन किसानों के पास सिंचाई के साधन नहीं हैं और जो वर्षा आधारित खेती करते हैं, उनके लिए हरी सब्जियों की खेती कम समय में अच्छा लाभ देने वाली हो सकती है.
मानसून के दौरान हरी सब्जियों की बाजार में उपलब्धता घट जाती है, जिससे इनके भाव बढ़ जाते हैं. यही वह मौका है, जब किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं.
बरसात शुरू होते ही नदी किनारे की सब्जियां अक्सर नष्ट हो जाती हैं, जिससे बाजार में हरी सब्जियों की सप्लाई कम हो जाती है.
हालांकि, इनकी मांग साल भर बनी रहती है, खासकर शादियों, आयोजनों और घरेलू उपयोग में.
ऐसे में जिन किसानों के खेत ऊंचाई पर हैं या जहां जलभराव की समस्या नहीं है, वे धान की बजाय सब्जी की खेती करके बेहतर आमदनी पा सकते हैं.
बरसात के मौसम में लौकी की आवक बाजार में कम हो जाती है, लेकिन इसकी मांग बनी रहती है.
किसान यदि अपने खेतों में जल निकासी की बेहतर व्यवस्था रखते हैं, तो वे लौकी की उन्नत किस्मों की बुआई करके अच्छी पैदावार ले सकते हैं.
यह सब्जी कम समय में तैयार होती है और स्थानीय बाजारों में तुरंत बिक जाती है, जिससे किसानों को मुनाफा जल्दी मिलने लगता है.
हरी मिर्च न सिर्फ मसालों में बल्कि सलाद, अचार और स्वाद बढ़ाने के लिए हर घर की जरूरत है.
अगर किसान ने पहले से पौध तैयार कर रखी है, तो इस मौसम में इसे लगाकर बेहद अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.
बरसात में हरी मिर्च की खेती करने वाले किसानों को स्थानीय मंडियों में तुरंत ग्राहक मिल जाते हैं.
जिन किसानों के खेत ऊंचे स्थान पर हैं, जहां पानी का भराव नहीं होता, या जहां सिंचाई की सुविधा सीमित है, उनके लिए हरी सब्जियों की खेती एक उत्तम विकल्प है.
ऐसे किसान कम लागत में फसल की सुरक्षा करते हुए ज्यादा फायदा उठा सकते हैं.