कम खर्चे में भी होगी धान की बंपर पैदावार, सूखे खेतों में भी लहराएगी धान की पैदावार Paddy Sowing Trick – अभी पढ़ें ये खबर
Rahul Mishra (CEO) June 29, 2025 09:26 PM

धान की बुवाई चाल: झारखंड और बिहार जैसे राज्यों में आज भी किसान परंपरागत रोपा विधि से धान की खेती करते हैं. लेकिन जैसे-जैसे मजदूरों की कमी और अनियमित वर्षा की समस्या बढ़ी है, वैसे ही किसानों के सामने समय पर रोपाई करना मुश्किल होता जा रहा है. इस चुनौती से निपटने के लिए वैज्ञानिकों ने धान की सुखी विधि से सीधी बुआई की तकनीक को कारगर बताया है.

क्या है सुखी विधि?

धान की सुखी बुआई एक ऐसी तकनीक है जिसमें बिना पानी भरे खेत में सीधे बीज बो दिए जाते हैं. इससे किसान बारिश का इंतजार किए बिना समय पर बुवाई कर सकते हैं और अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि खेत में पहले से उर्वरक और मिट्टी की तैयारी हो, तो यह विधि बेहद सफल हो सकती है.

कृषि वैज्ञानिक का सुझाव

क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र चियांकी के कृषि वैज्ञानिक डॉ. प्रमोद कुमार ने बताया कि बारिश नहीं होने की स्थिति में किसान खेत की जुताई कर सी ड्रिल मशीन या ब्रॉडकास्टिंग मेथड से सीधी बुआई कर सकते हैं.

  • ब्रॉडकास्टिंग विधि में 80 किलो बीज प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई होती है
  • खेती के लिए मध्यम और निम्न भूमि (Lowland) चुनें
  • हाइब्रिड या ओपी किस्मों का चयन करें, जिससे उत्पादन अधिक होता है

सी ड्रिल मशीन से सटीक बुआई

डॉ. कुमार के अनुसार, सी ड्रिल मशीन के इस्तेमाल से 30 किलो प्रति एकड़ बीज की दर से बुआई की जाती है. इस मशीन की खासियत यह है कि:

  • बीज 20 सेंटीमीटर की दूरी पर 9 लाइन में गिरते हैं
  • बीज एकसमान गहराई और दूरी पर गिरते हैं, जिससे अंकुरण अच्छा होता है
  • यह विधि समय और लागत दोनों की बचत करती है

इस विधि में सबसे बड़ी चुनौती

  • इस विधि की एक बड़ी समस्या घास उगने की होती है, जिससे निपटने के लिए वैज्ञानिकों ने दवा छिड़काव का सुझाव दिया है.
  • पहला छिड़काव – बुआई के 3 दिनों के भीतर पेंडीमेथिलिन दवा का छिड़काव करें (5 एमएल/लीटर पानी)
  • दूसरा छिड़काव – 15 से 20 दिन के भीतर सपाइयों बैग सोडियम (80 ग्राम/लीटर पानी) का उपयोग करें
  • इस तरह की समयबद्ध दवा योजना से खेत को घासमुक्त रखा जा सकता है.

समय पर तैयार होगी फसल, मिलेगा बेहतर उत्पादन

यदि किसान इस विधि से बुआई के साथ उर्वरक प्रबंधन भी सही समय पर करें, तो फसल न केवल समय पर तैयार होती है बल्कि पैदावार भी उम्मीद से अधिक होती है. इससे किसानों को बाजार में अच्छी कीमत भी मिल सकती है.

बारिश हो या न हो, मुनाफे की गारंटी

इस तकनीक की खास बात यह है कि किसान बारिश के भरोसे नहीं रहते, और बुवाई के समय से किसी भी प्रकार की देरी से बचते हैं. यह विधि खासकर उन किसानों के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी है जो बारिश की अनिश्चितता और मजदूरों की कमी से परेशान हैं.

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