धान की बुवाई चाल: झारखंड और बिहार जैसे राज्यों में आज भी किसान परंपरागत रोपा विधि से धान की खेती करते हैं. लेकिन जैसे-जैसे मजदूरों की कमी और अनियमित वर्षा की समस्या बढ़ी है, वैसे ही किसानों के सामने समय पर रोपाई करना मुश्किल होता जा रहा है. इस चुनौती से निपटने के लिए वैज्ञानिकों ने धान की सुखी विधि से सीधी बुआई की तकनीक को कारगर बताया है.
धान की सुखी बुआई एक ऐसी तकनीक है जिसमें बिना पानी भरे खेत में सीधे बीज बो दिए जाते हैं. इससे किसान बारिश का इंतजार किए बिना समय पर बुवाई कर सकते हैं और अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि खेत में पहले से उर्वरक और मिट्टी की तैयारी हो, तो यह विधि बेहद सफल हो सकती है.
क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र चियांकी के कृषि वैज्ञानिक डॉ. प्रमोद कुमार ने बताया कि बारिश नहीं होने की स्थिति में किसान खेत की जुताई कर सी ड्रिल मशीन या ब्रॉडकास्टिंग मेथड से सीधी बुआई कर सकते हैं.
डॉ. कुमार के अनुसार, सी ड्रिल मशीन के इस्तेमाल से 30 किलो प्रति एकड़ बीज की दर से बुआई की जाती है. इस मशीन की खासियत यह है कि:
यदि किसान इस विधि से बुआई के साथ उर्वरक प्रबंधन भी सही समय पर करें, तो फसल न केवल समय पर तैयार होती है बल्कि पैदावार भी उम्मीद से अधिक होती है. इससे किसानों को बाजार में अच्छी कीमत भी मिल सकती है.
इस तकनीक की खास बात यह है कि किसान बारिश के भरोसे नहीं रहते, और बुवाई के समय से किसी भी प्रकार की देरी से बचते हैं. यह विधि खासकर उन किसानों के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी है जो बारिश की अनिश्चितता और मजदूरों की कमी से परेशान हैं.