बदलते लाइफस्टाल की वजह से डायबिटीज़ आज बुजुर्गों को ही नहीं, युवाओं को भी अपना शिकार बना रही है. डायबिटीज में अक्सर ब्लड शुगर काफी बढ़ जाता है. अगर किसी मरीज की ब्लड रिपोर्ट में शुगर बार-बार बढ़ी हुई आ रही है, तो इसे लिवर में इंसुलिन रेजिस्टेंस(Insulin Resistance) का संकेत माना जा सकता है. आइए आपको बताते हैं कि इंसुलिन रेजिस्टेंस क्या होता है और इसके शुरुआती संकेत क्या होते हैं.
इंसुलिन एक हार्मोन है, जो पैंक्रियाज में बनता है. ये शरीर की कोशिकाओं को ब्लड से शुगर यानी ग्लूकोज लेने में मदद करता है. लेकिन जब शरीर की कोशिकाओं में इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता कम हो जाती है, तो ये स्थिति इंसुलिन रेजिस्टेंस कहलाती है, यानी शरीर में इंसुलिन तो बनता है, लेकिन वो अपना काम ठीक से नहीं कर पा रहा है और इस वजह से ही ब्लड में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है. आमतौर पर ये परेशानी टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों में ज्यादा देखी जा सकती है.
लिवर में कैसे शुरू होता है इंसुलिन रेजिस्टेंस?सर गंगाराम अस्पताल में गैस्ट्रोलॉजी विभाग में एचओडी डॉ. अनिल अरोड़ा बताते हैं किलिवर खून में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाता है. सामान्य परिस्थिति में इंसुलिन लिवर को ग्लूकोज स्टोर करने का संकेत देता है, लेकिन जब लिवर इंसुलिन के संकेतों को नजरअंदाज करने लगता है तो लिवर में इंसुलिन रेजिस्टेंस की शुरुआत होती है. ऐसी परिस्थिति में ब्लड में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है. साथ ही लिवर में फैट जमा होने लगता है, जिससे नॉन अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज का खतरा भी बढ़ सकता है.
इंसुलिन रेजिस्टेंस के संकेतलिवर में इंसुलिन रेजिस्टेंस का अगर समय पर इलाज नहीं किया गया या सावधानी नहीं बरती गयी, तो स्थिति गंभीर भी हो सकती है. आइए आपको बताते हैं लिवर में इंसुलिन रेजिस्टेंस के शुरुआती संकेत क्या होते हैं.
पेट के आसपास चर्बी जमा हो जानाना
बार-बार पेशाब आना
लगातार थकान बने रहना और कमजोरी
ब्लड प्रेशर बार-बार हाई हो जाना
लिवर में इंसुलिन रेजिस्टेंस के कारणऐसी कई वजहें हैं जो लिवर में इंसुलिन रेजिस्टेंस को बढ़ा सकती हैं. मोटापा या शारीरिक कामों की कमी लिवर में इंसुलिन रेजिस्टेंस की वजह बन सकती है. इनके अलावा ज्यादा कैलोरी वाली चीजें, जंग फूड और सॉफ्ट ड्रिंक का ज्यादा इस्तेमाल, लंबे समय तक हाई ब्लड शुगर भी समस्या को बढ़ा सकता है.
कैसे करें बचाव?व्यायाम या योग और खान-पान का ध्यान रखकर वजन को नियंत्रित रखा जा सकता है, इससे लिवर में इंसुलिन रेजिस्टेंस की स्थिति से बचा जा सकता है. इसके अलावा खाने में हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज, कम फैट वाला दूध जैसी चीजें शामिल करना चाहिए. साथ ही शुगर, जंग फूड और सॉफ्ट ड्रिंक से दूर रहना ही उचित होता है. डायबिटीज के मरीजों के लिए जरूरी है कि वो नियमित रूप से डॉक्टर से मिलें और उनकी सलाह पर ही दवाएं बदलें या दवाएं लें.