सेवानिवृत्ति की उम्र – ज़रूरी जानकारी और सरकारी फैसलों को जानना हर नौकरीपेशा इंसान के लिए बेहद अहम होता है, और जब बात सरकारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र की हो, तो मामला और भी गंभीर हो जाता है। हाल ही में केंद्र सरकार की तरफ से रिटायरमेंट एज को लेकर एक बड़ा फैसला लिया गया है, जो लाखों कर्मचारियों की जिंदगी पर असर डाल सकता है।
अब तक केंद्र सरकार के लगभग सभी विभागों में सेवानिवृत्ति (रिटायरमेंट) की उम्र 60 साल निर्धारित थी। लेकिन अब खबर ये आ रही है कि सरकार कुछ खास विभागों में इसे बढ़ाकर 62 साल करने जा रही है। यह बदलाव सभी पर एक साथ लागू नहीं होगा, बल्कि धीरे-धीरे यानी फेज-वाइज लागू किया जाएगा। इसका मतलब है कि पहले कुछ चुनिंदा मंत्रालयों और विभागों में ये नियम लागू होगा, फिर बाकी जगहों पर।
सरकार की प्लानिंग के मुताबिक, इस नए रिटायरमेंट नियम को पहले उन डिपार्टमेंट्स में लागू किया जाएगा जहां अनुभव की ज्यादा जरूरत होती है। जैसे:
इन विभागों में अनुभवी लोगों की अहमियत काफी ज्यादा होती है। ऐसे में सरकार चाहती है कि अनुभवी कर्मचारी कुछ और साल अपनी सेवाएं दें, ताकि संस्था की गुणवत्ता बनी रहे।
अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि अगर पुरानी पीढ़ी के लोग देर से रिटायर होंगे तो नई पीढ़ी को सरकारी नौकरी कैसे मिलेगी?
साफ है कि थोड़े समय के लिए युवाओं के लिए मौके घट सकते हैं। लेकिन सरकार की तरफ से कहा गया है कि इस प्रक्रिया को संतुलन के साथ लागू किया जाएगा। नई भर्तियों के लिए दूसरे रास्ते निकाले जाएंगे, जैसे:
अगर कोई कर्मचारी 60 की जगह 62 साल तक काम करता है, तो उसके:
यानि अगर किसी की नौकरी दो साल और बढ़ेगी, तो उसे सैलरी, इन्क्रीमेंट और प्रमोशन के दो और मौके मिल सकते हैं।
इस फैसले के दोनों पक्ष हैं। एक तरफ जहां अनुभवी कर्मचारियों को फायदा मिलेगा, वहीं दूसरी तरफ युवाओं को थोड़ी देर इंतजार करना पड़ सकता है। लेकिन अगर इसे संतुलित तरीके से लागू किया जाए तो सभी को इसका फायदा मिल सकता है।
सरकार ने अभी इसे चरणबद्ध तरीके से लागू करने की बात कही है। यानी एक साथ पूरे देश में लागू नहीं होगा। हो सकता है कि यह 2025 के अंत तक कुछ मंत्रालयों में लागू कर दिया जाए और फिर 2026 से इसे अन्य विभागों में फैलाया जाए।
सरकार का यह कदम अनुभव, कुशलता और पेंशन के भार को संतुलित करने की दिशा में है। अगर इसे सही तरीके से लागू किया जाए, तो यह न केवल पुराने कर्मचारियों को सम्मान देने वाला कदम होगा, बल्कि देश की सरकारी व्यवस्था को मजबूत भी बनाएगा।