दिल्ली में कृत्रिम बारिश का ट्रायल स्थगित: जानें क्यों?
newzfatafat July 01, 2025 01:42 AM
दिल्ली में क्लाउड सीडिंग का निर्णय

दिल्ली में कृत्रिम बारिश: मौसम विशेषज्ञों के साथ गहन चर्चा के बाद, क्लाउड सीडिंग के प्रयोग को फिलहाल के लिए स्थगित करने का निर्णय लिया गया है। मौजूदा मानसून की स्थिति कृत्रिम बारिश के लिए आवश्यक तकनीकी और पर्यावरणीय मानकों को प्रभावित कर सकती है। दिल्ली सरकार ने इस परीक्षण को 4 से 11 जुलाई 2025 के बीच आयोजित करने की योजना बनाई थी, लेकिन अब इसे कुछ समय के लिए टाल दिया गया है।


क्लाउड सीडिंग ट्रायल की योजना

दिल्ली सरकार ने पहली बार राष्ट्रीय राजधानी में क्लाउड सीडिंग के माध्यम से कृत्रिम बारिश कराने का प्रस्ताव रखा था। इसका मुख्य उद्देश्य वायु प्रदूषण को कम करना और जल संकट का समाधान करना था। इस योजना के तहत, 4 से 11 जुलाई 2025 के बीच उत्तर-पश्चिम और बाहरी दिल्ली के कम सुरक्षा वाले हवाई क्षेत्रों में पांच विमानों के जरिए कृत्रिम बारिश कराने का लक्ष्य रखा गया था। प्रत्येक उड़ान लगभग 90 मिनट तक चलने वाली थी, जो 100 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करती।


क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया

इस प्रक्रिया में सिल्वर आयोडाइड, पोटेशियम आयोडाइड, सूखी बर्फ, और टेबल नमक जैसे रसायनों का उपयोग कर बादलों में छोड़ा जाना था, ताकि वर्षा को उत्प्रेरित किया जा सके। इस परियोजना का तकनीकी संचालन आईआईटी कानपुर द्वारा किया जाना था, और इसके लिए दिल्ली सरकार ने डीजीसीए से अनुमति भी प्राप्त कर ली थी। कुल लागत लगभग 3.21 करोड़ रुपये होने का अनुमान था।


सक्रिय मानसून का प्रभाव

मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, क्लाउड सीडिंग के लिए आदर्श स्थिति में कम से कम 40 प्रतिशत बादल कवरेज और निंबोस्ट्रेटस (Ns) बादल 500-6000 मीटर की ऊंचाई पर 50% से अधिक नमी के साथ होना आवश्यक है। हालांकि, दिल्ली में दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत 29 जून 2025 को हो चुकी है, और मौसम विभाग ने हल्की से मध्यम बारिश की भविष्यवाणी की है। यह सक्रिय मानसून कृत्रिम बारिश के लिए आवश्यक नियंत्रित पर्यावरण को प्रभावित कर सकता है, जिसके कारण ट्रायल को स्थगित करना पड़ा।


पर्यावरणीय प्रभाव की निगरानी

क्लाउड सीडिंग में उपयोग होने वाले रसायनों, विशेष रूप से सिल्वर आयोडाइड, के पर्यावरणीय प्रभावों की निगरानी के लिए आईआईटी कानपुर को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। यह सुनिश्चित करने के लिए कि वर्षा जल में रसायनों के अवशेष न रहें, विशेष निगरानी प्रणाली लागू की जानी थी। इसके अलावा, इस परियोजना को सफल बनाने के लिए कई अनुमोदन एजेंसियों जैसे एसपीजी, सीपीसीबी, पर्यावरण मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय, डीजीसीए, एएआई, बीसीएएस, और यूपी सरकार से मंजूरी ली गई थी।


दिल्ली में पूर्व प्रयासों की विफलता

दिल्ली में क्लाउड सीडिंग के माध्यम से कृत्रिम बारिश कराने की योजनाएं पहले भी कई बार बनाई गईं थीं, लेकिन विभिन्न कारणों से वे सफल नहीं हो पाईं। इस बार की योजना को लेकर विशेषज्ञों और जनता में काफी उत्साह था, क्योंकि यह दिल्ली के बढ़ते वायु प्रदूषण और जल संकट से निपटने का एक अभिनव तरीका था। हालांकि, मौसम की अनिश्चितता ने एक बार फिर इस पहल को रोक दिया।


© Copyright @2025 LIDEA. All Rights Reserved.