गोरखपुर आने वाली छठीं राष्ट्रपति बनीं द्रौपदी मुर्मु, इन पूर्व राष्ट्रपतियों ने भी की थी ऐतिहासिक यात्रा
Samachar Nama Hindi July 01, 2025 06:42 PM

देश की वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने एक ऐतिहासिक अवसर पर गोरखपुर की धरती पर कदम रखा और राज्य के पहले आयुष विश्वविद्यालय व एम्स गोरखपुर के दीक्षा समारोह में शिरकत की। इसी के साथ वह गोरखपुर आने वाली देश की छठीं राष्ट्रपति बन गई हैं। उनसे पहले पांच राष्ट्राध्यक्ष इस ऐतिहासिक नगर में आ चुके हैं, जिनकी यात्राएं गोरखपुर के सामाजिक, शैक्षणिक और राजनीतिक इतिहास में दर्ज हैं।

इन राष्ट्रपतियों ने की थी गोरखपुर यात्रा:
  • डॉ. राजेंद्र प्रसाद (प्रथम राष्ट्रपति)
    भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का गोरखपुर दौरा ऐतिहासिक माना जाता है। उन्होंने आज़ादी के बाद देश को एकजुट करने और नवनिर्माण में जनता की भागीदारी को प्रेरित करने के लिए इस क्षेत्र की यात्रा की थी।

  • डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (द्वितीय राष्ट्रपति)
    शिक्षा और संस्कृति के ध्वजवाहक डॉ. राधाकृष्णन ने भी गोरखपुर की यात्रा की थी। उन्होंने अपने दौरे के दौरान गोरखपुर विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया था और युवाओं को शिक्षा के महत्व पर प्रेरणादायक संबोधन दिया था।

  • डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम (11वें राष्ट्रपति)
    'मिसाइल मैन' और जनता के राष्ट्रपति कहे जाने वाले डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का गोरखपुर दौरा युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा। उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय में छात्रों से संवाद किया और उन्हें वैज्ञानिक सोच एवं नवाचार के लिए प्रेरित किया।

  • प्रतिभा देवी सिंह पाटिल (12वीं राष्ट्रपति)
    भारत की पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने भी गोरखपुर का दौरा किया था। उन्होंने विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों में भाग लिया और महिला सशक्तिकरण को लेकर महत्वपूर्ण संदेश दिए थे।

  • रामनाथ कोविंद (14वें राष्ट्रपति)
    राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का दौरा भी गोरखपुर के लिए अहम रहा। उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय और धार्मिक स्थलों का भ्रमण किया था और पूर्वांचल के विकास को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई थी।

  • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की ऐतिहासिक यात्रा

    अब, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की यह यात्रा न केवल आयुष विश्वविद्यालय और एम्स गोरखपुर के उद्घाटन से जुड़ी है, बल्कि यह पूर्वांचल को शिक्षा, स्वास्थ्य और परंपरागत चिकित्सा के क्षेत्र में एक नई पहचान देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम भी है।

    उनकी यह उपस्थिति गोरखपुर को राष्ट्रीय स्तर पर एक बार फिर से सुर्खियों में ले आई है और यह दर्शाता है कि यह शहर अब केवल धार्मिक या सांस्कृतिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि शैक्षणिक और स्वास्थ्य संस्थानों के केंद्र के रूप में भी तेजी से उभर रहा है।

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