बाइक की कीमत बढ़ोतरी: भारत सरकार जल्द ही एक बड़ा बदलाव करने जा रही है. 1 जनवरी 2026 से देश के सभी दोपहिया वाहनों में एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS) को अनिवार्य करने की योजना पर काम चल रहा है. अभी तक यह नियम 125cc से ऊपर की बाइकों पर लागू था, लेकिन अब हर सेगमेंट के टू-व्हीलर को इसके दायरे में लाने की तैयारी है.
अब तक दोपहिया बाजार में 84% हिस्सेदारी उन वाहनों की थी जो 125cc से कम की श्रेणी में आते हैं और ABS अनिवार्यता से बाहर थे. लेकिन सरकार के नए प्रस्ताव से 100cc की बाइक, स्कूटर और मोपेड भी शामिल हो जाएंगे. ये वाहन मुख्यतः ग्रामीण और छोटे शहरों में खूब बिकते हैं, और कीमतों में मामूली इजाफा भी उपभोक्ताओं को प्रभावित कर सकता है.
ब्रोकरेज फर्म नोमुरा के अनुसार, ABS यूनिट की लागत करीब ₹3000 हो सकती है, जिससे दोपहिया वाहनों की कीमत में 3% से 5% तक बढ़ोतरी संभव है. वहीं कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज ने 4% से 6% तक कीमतें बढ़ने का अनुमान जताया है, यानी ₹3000 से ₹5000 तक का इजाफा. इससे सेल वॉल्यूम में 2% से 4% की गिरावट आ सकती है, खासकर एंट्री-लेवल सेगमेंट में.
हीरो मोटोकॉर्प के पास 125cc से कम सेगमेंट में 79% बाजार हिस्सेदारी है. ऐसे में इस नियम का सबसे ज्यादा असर इसी कंपनी पर पड़ने की संभावना है. TVS मोटर पर भी असर होगा, क्योंकि उसके पोर्टफोलियो में इस सेगमेंट की हिस्सेदारी 54% से 64% है.
वहीं, बजाज ऑटो की हिस्सेदारी 24% से 35% के बीच है, जिससे उस पर असर थोड़ा कम होगा. रॉयल एनफील्ड बनाने वाली आयशर मोटर्स पूरी तरह 125cc से ऊपर की श्रेणी में आती है, इसलिए उस पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
यह बदलाव ऐसे समय पर आ रहा है जब EV कंपनियां पहले ही रेयर-अर्थ मैग्नेट की कमी से जूझ रही हैं. इससे प्रोडक्शन में देरी हो रही है और कई कंपनियों ने चेतावनी दी है कि सप्लाई बाधित रही तो उत्पादन पूरी तरह ठप हो सकता है. कुछ EV कंपनियां कीमतों में 8% तक इजाफा करने की भी योजना बना रही हैं.
जहां कंपनियों पर यह नियम दबाव बनाएगा, वहीं ABS बनाने वाली कंपनियों के लिए यह बड़ा अवसर साबित हो सकता है. मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि ABS की मांग में 5 गुना तक उछाल आ सकता है. फिलहाल इस बाजार में Bosch, Continental और Endurance Technologies जैसी कंपनियों का दबदबा है.
कोटक के अनुसार, ABS मार्केट का साइज 5 गुना बढ़कर ₹80,400 करोड़ तक पहुंच सकता है. एंड्यूरेंस टेक्नोलॉजीज को ₹1,000–1,770 करोड़ की अतिरिक्त आय और 5–9% की अर्निंग ग्रोथ की संभावना है. यानी ऑटो कंपोनेंट सेक्टर के लिए यह नियम गेम-चेंजर साबित हो सकता है.
1 जनवरी 2026 की डेडलाइन को लेकर सरकार और ऑटो इंडस्ट्री के बीच बातचीत चल रही है. इंडस्ट्री समयसीमा आगे बढ़ाने की मांग कर रही है. अब देखना होगा कि सरकार अंतिम फैसला क्या लेती है, क्योंकि नियम लागू होते ही एंट्री-लेवल टू-व्हीलर बाजार की तस्वीर बदल सकती है.