प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को त्रिनिदाद और टोबैगो की धरती पर बसे भारतीय समुदाय को संबोधित किया। यह यात्रा उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद इस कैरेबियाई देश की पहली द्विपक्षीय यात्रा है और साल 1999 के बाद से किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली आधिकारिक यात्रा है। यह दौरा त्रिनिदाद और टोबैगो की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद-बिसेसर के निमंत्रण पर हो रहा है।
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और वैश्विक विरासत पर जोर देते हुए त्रिनिदाद में बसे प्रवासी भारतीयों के संघर्ष और साहस को नमन किया। उन्होंने कहा,
“आपने गंगा और यमुना को पीछे छोड़ा, लेकिन रामायण को अपने साथ ले गए। आपने अपनी मिट्टी छोड़ी, लेकिन अपनी आत्मा नहीं।”
कमला प्रसाद-बिसेसर को बताया “बिहार की बेटी”
प्रधानमंत्री मोदी ने त्रिनिदाद और टोबैगो की प्रधानमंत्री कमला बिसेसर को सम्मानपूर्वक “बिहार की बेटी” कहा। उन्होंने बताया कि कमला बिसेसर के पूर्वज बिहार के बक्सर जिले के रहने वाले थे और वह खुद भी अपने पैतृक गांव भेलूपुर (इटाढ़ी प्रखंड, बक्सर) वर्ष 2012 में जा चुकी हैं।
उन्होंने कमला बिसेसर से एक विशेष आग्रह किया —
“मैं महाकुंभ और सरयू नदी का पवित्र जल लेकर आया हूँ। मेरी प्रार्थना है कि आप इस जल को त्रिनिदाद की गंगा धारा में अर्पित करें।”
बिहार से जुड़े हैं त्रिनिदाद में बसे कई भारतीय
पीएम मोदी ने कहा कि त्रिनिदाद में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग रहते हैं, जिनकी जड़ें बिहार से जुड़ी हैं। उन्होंने कहा कि बिहार की विरासत केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए गौरव की बात है।
बिहार: सभ्यता, शिक्षा और लोकतंत्र की धरती
प्रधानमंत्री ने बिहार के ऐतिहासिक योगदान को याद करते हुए कहा –
“बिहार ने सदियों पहले लोकतंत्र, कूटनीति, राजनीति और उच्च शिक्षा जैसे क्षेत्रों में दुनिया को दिशा दी थी। यह भूमि विचारों की जननी रही है।”
उन्होंने प्रवासी भारतीय दिवस पर गिरमिटिया समुदाय को सम्मानित करने और उनसे जुड़ने की नई पहल की भी बात की। उन्होंने 19वीं और 20वीं सदी में ब्रिटिश उपनिवेशों में ले जाए गए भारतीयों की संघर्षगाथा को भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
21वीं सदी में भी बिहार से निकलेंगी नई प्रेरणाएं
पीएम मोदी ने कहा कि आने वाले समय में भी बिहार की भूमि से नई प्रेरणाएं और अवसर निकलेंगे, जो न सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया को दिशा देंगे।
भारतीय समुदाय की संघर्ष गाथा को किया सलाम
उन्होंने कहा –
“त्रिनिदाद और टोबैगो में भारतीय समुदाय की यात्रा साहस से भरी रही है। आपके पूर्वजों ने अपार कठिनाइयों का सामना किया। वे सिर्फ प्रवासी नहीं थे, वे भारत की शाश्वत संस्कृति के वाहक थे। उनके योगदान से इस देश को सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और आर्थिक रूप से लाभ मिला है।”
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