ईरान-इजराइल जंग के बाद पहली बार दिखे सुप्रीम कमांडर खामेनेई, शोक सभा में हुए शामिल
TV9 Bharatvarsh July 06, 2025 01:42 PM

ईरान और इजराइल के बीच पिछले दिनों हुई जंग के बाद पहली बार ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई शनिवार को आशूरा से जुड़े एक शोक समारोह में शामिल हुए. युद्ध शुरू होने के बाद केवल उनके कुछ वीडियो और सोशल मीडिया पोस्ट ही सामने आए थे. इसी के जरिए उन्होंने युद्ध के हालात और ईरान के आगे की कार्ययोजना बताई थी. खामेनेई को लेकर कई तरह के दावे भी किए गए थे. ऐसा कहा जा रहा था कि युद्ध के दौरान वे बंकर में मौजूद थे.

इजराइल और ईरान के बीच जंग खत्म 24 जून को गई थी, इसके बाद भी ईरान के सुप्रीम कमांडर कहीं भी नजर नहीं आ रहे थे. उनको लेकर दुनियाभर में कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थी. ऐसा कहा जा रहा था कि इजराइल की तरफ से शुरू हुए हमले के बाद खामेनेई को छिपा लिया गया था.

भारी भीड़ के बाद भी नहीं दिया कोई भाषण

ईरान और इजराइल के बीच 12 दिनों तक चला युद्ध 24 जून को खत्म हो गया था. इस दौरान ईरान के सुप्रीम कमांडर अयातुल्ला खामेनेई 13 जून को इस्राइली हमलों के बाद से सार्वजनिक रूप से नहीं दिखे थे. अब युद्ध विराम के 15 दिन बाद खामेनेई नजर आए हैं. 5 जुलाई को मुहर्रम के मातम जुलूस में उन्हें देखा गया. तेहरान में आशूरा की शाम पर मुहर्रम के मातम जुलूस में खामेनेई के पहुंचने पर समर्थकों ने उनका स्वागत किया. इस दौरान खामेनेई ने जनता को हाथ हिलाकर और सिर झुकाकर अभिवादन किया.

युद्ध विराम के बाद खामेनेई जब पहली बार बीते दिन सामने आए तो ऐसा माना जा रहा था कि वो जनता के लिए कुछ संदेश देंगे. हालांकि ऐसा नहीं हुआ कड़ी सुरक्षा के बीच कार्यक्रम में पहुंचे सुप्रीम कमांडर ने मातम जुलूस के दौरान नारे लगाती भीड़ की ओर खामेनेई ने हाथ और सिर हिलाया. हालांकि इस दौरान उन्होंने कोई बयान या भाषण नहीं दिया.

ईरान-इजरायल युद्ध में 900 नागरिक

ईरान और इजराइल के बीच 12 दिन चले युद्ध में करीब 900 ईरानी नागरिक मारे गए हैं, इसके साथ ही हजारों लोग घायल हुए हैं. अमेरिकी हमले में ईरान के परमाणु ठिकानों को काफी नुकसान पहुंचा है. हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति ने दावा किया कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से तबाह हो चुका है. इसके साथ ही ट्रंप ने दावा किया था कि अमेरिका जानता है कि वह कहां है, लेकिन उसे मारने की कोई योजना नहीं है, “कम से कम अभी के लिए तो नहीं ही है.

हालांकि यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि ईरान के परमाणु ठिकाने कितनी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुई हैं, क्या हमलों से पहले कोई समृद्ध यूरेनियम या सेंट्रीफ्यूज स्थानांतरित किया गया था और क्या तेहरान अभी भी अपने परमाणु कार्यक्रम पर संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ वार्ता जारी रखने के लिए तैयार है. इन सब सवालो के जवाब अभी तक नहीं मिल पाए हैं.

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