रूस गर्ल्स चाइल्ड इंसेंटिव: रूस में घटती जन्मदर और बढ़ती बुजुर्ग आबादी को देखते हुए सरकार ने एक नई योजना शुरू की है, जिसके तहत महिलाओं और नाबालिग लड़कियों को बच्चे पैदा करने पर नकद सहायता दी जा रही है. इस योजना का उद्देश्य देश में जनसंख्या बढ़ाना और युवा आबादी की कमी को दूर करना है, जो पिछले कुछ वर्षों में गंभीर रूप से प्रभावित हुई है.
रूस सरकार की इस योजना के तहत प्रत्येक बच्चा जन्म देने पर एक लाख रूबल (लगभग ₹1.09 लाख) की आर्थिक सहायता दी जा रही है. यह रकम केवल बच्चे के जन्म के लिए ही नहीं बल्कि उसके पालन-पोषण में मदद के लिए भी दी जा रही है.
इसका मुख्य उद्देश्य बुजुर्ग होती जनसंख्या के अनुपात को संतुलित करना और देश की जनसांख्यिकीय संरचना को दुरुस्त करना है.
शुरुआत में यह योजना केवल बालिग महिलाओं के लिए लागू की गई थी, लेकिन अब इसे नाबालिग लड़कियों तक बढ़ा दिया गया है. इससे स्पष्ट है कि रूस सरकार हर हाल में जन्मदर बढ़ाने के प्रयासों में जुटी है, चाहे इसके लिए सामाजिक मानदंडों में ढील ही क्यों न देनी पड़े.
मार्च 2025 में यह योजना रूस के 10 प्रमुख हिस्सों में शुरू की गई थी, और अब धीरे-धीरे इसका विस्तार हो रहा है.
यूक्रेन युद्ध को भी इस नीति की एक प्रमुख वजह माना जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, युद्ध में अब तक करीब 2.5 लाख रूसी सैनिक मारे जा चुके हैं, जिससे देश की युवा जनसंख्या को बड़ा झटका लगा है.
इतना ही नहीं, युद्ध और राजनीतिक अस्थिरता के चलते लाखों पढ़े-लिखे नागरिक रूस छोड़कर विदेश चले गए हैं, जिससे कार्यशील जनसंख्या घट रही है.
सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि रूस की इस नीति पर समाज बंटा हुआ है.
रूस अकेला देश नहीं है जो बच्चा पैदा करने के लिए आर्थिक मदद दे रहा है, बल्कि दुनिया के कई अन्य देश भी कम जन्मदर से चिंतित हैं और तरह-तरह की योजनाएं चला रहे हैं:
कुछ देशों में जन्मदर बढ़ाने के लिए मिलती हैं ऐसी सुविधाएं:
इन उदाहरणों से साफ है कि दुनिया के कई देश जनसंख्या स्थायित्व बनाए रखने के लिए आर्थिक प्रोत्साहन का सहारा ले रहे हैं.