सावन महीने की शुरुआत 11 जुलाई 2025 से होने जा रही है. इस महीने को श्रावण मास भी कहते हैं, जो कि भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होता है. इस महीने में शिवभक्त जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और व्रत रखकर भगवान शिव को प्रसन्न करते हैं. कहते हैं कि सावन का महीना भोलेनाथ को शीघ्र प्रसन्न करने के लिए सबसे उत्तम होता है. कांवड़ यात्रा की शुरुआत भी सावन माह में ही होती है. इसलिए हिंदू धर्म में सावन को बहुत पवित्र माना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि सावन भगवान शिव का प्रिय महीना है.
धार्मिक दृष्टिकोण से भी सावन महीने का महत्व काफी बढ़ जाता है, क्योंकि इस महीने में भोलेनाथ धरती पर वास करते हैं. वैसे तो भगवान शिव का निवास स्थान कैलाश पर्वत है, लेकिन सावन में भोलेनाथ कैलाश छोड़कर धरती की जगह पर वास करते हैं और वहीं से सृष्टि का संचालन करते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं वो जगह कौन सी है.
भगवान शिव का ससुराल कहां है?वह जगह कोई और नहीं, बल्कि भगवान शिव का ससुराल है. भगवान शिव का ससुराल हरिद्वार के कनखल में स्थित है. कनखल को दक्षेश्वर महादेव मंदिर के लिए भी विशेष रूप से जाना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इसी मंदिर में भगवान शिव और माता सती का विवाह हुआ था.
सावन में कनखल का विशेष महत्वधार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन के महीने में भगवान शिव अपने ससुराल कनखल में निवास करते हैं. इसलिए इस माह में इस जगह का बहुत अधिक महत्व माना जाता है. दूर-दूर से शिव भक्त सावन के महीने में कनखल के दक्षेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं और भोलेनाथ की पूजा करते हैं.
कनखल में वास करते हैं भोलेनाथशिव पुराण के अनुसार, एक बार माता सती के पिता दक्ष प्रजापति ने हरिद्वार के कनखल में एक यज्ञ का आयोजन करवाया था, जिसमें उन्होंने भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया. लेकिन बिना बुलावे के ही माता सती, शिवजी से यज्ञ पर चलने की जिद करने लगीं. जब सती माता और भगवान शिव दक्ष प्रजापति के यज्ञ में पहुंचे तो वहां सभी देवताओं के भगवान शिव का बहुत अपमान किया, जो कि सती सहन न कर सकीं और उन्होंने यज्ञ की अग्नि में अपने प्राणों की आहुति दे दी.
यह देख भगवान शिव बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने क्रोधित होकर शिव ने वीर भद्र रूप धारण कर लिया और दक्ष प्रजापति का सिर धड़ से अलग कर दिया. हालांकि, सभी देवताओं की प्रार्थना पर भगवान शिव ने दक्ष प्रजापति को बकरे का सिर लगाकर पुनः जीवित कर दिया, जिसके बाद दक्ष प्रजापति ने भोलेनाथ से माफी मांगी.
साथ ही, दक्ष प्रजापति ने भोलेनाथ से यह वचन लिया कि वे हर साल सावन में उनके यहां निवास करेंगे और उन्हें सेवा-सत्कार का मौका देंगे. धार्मिक मान्यता है कि तब से ही हरिद्वार के कनखल में भगवान शिव हर साल सावन में दक्षेश्वर रूप में यहां विराजमान होते हैं और संपूर्ण ब्रह्मांड का संचालन करते हैं.
(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.)