Early signs of blood cancer: ब्लड कैंसर यानी रक्त कैंसर, एक गंभीर बीमारी है जो शरीर की Blood Cells को प्रभावित करता है. यह कैंसर बोन मैरो (अस्थि मज्जा) और लिम्फ सिस्टम को भी प्रभावित कर सकता है. भारत में भी ब्लड कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, और कई बार इसकी पहचान बहुत देर से होती है. इसलिए ज़रूरी है कि इसके शुरुआती लक्षणों को पहचाना जाए, ताकि समय रहते इलाज किया जा सके.
दिल्ली के मैक्स अस्पताल में ऑन्कोलॉजिस्ट डॉय रोहित कपूर बताते हैं किहमारे शरीर में तीन तरह की ब्लड सेल्स होती हैं रेड ब्लड सेल्स (RBC), वाइट ब्लड सेल्स (WBC) और प्लेटलेट्स. ये कोशिकाएं हमारी हड्डियों के अंदर मौजूद बोन मैरो में बनती हैं. लेकिन जब बोन मैरो में किसी वजह से गलत या खराब कोशिकाएं बनने लगती हैं, तो वह कैंसर का रूप ले सकती हैं. यही स्थिति आगे चलकर ब्लड कैंसर बन जाती है.
ब्लड कैंसर के शुरुआती लक्षण
1 हर वक्त थकान या कमजोरी महसूस होना
शरीर में रेड ब्लड सेल्स की कमी होने लगती है, जिससे ऑक्सीजन सप्लाई घटती है और व्यक्ति बिना मेहनत के भी थका-थका महसूस करता है.
2 बार-बार बुखार या इंफेक्शन होना
ब्लड कैंसर इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है. इससे छोटी सी चोट भी जल्दी ठीक नहीं होती और रोग प्रतिरोधक क्षमता घटने लगती है.
3 शरीर पर नीले-नीले या लाल निशान (Bruising) पड़ना
बिना चोट के भी शरीर पर चकत्ते या नीले निशान दिखें तो यह वाइट ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स की असंतुलन का संकेत हो सकता है.
4 नाक या मसूड़ों से बार-बार खून आना
ब्लड कैंसर में प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है जिससे खून का थक्का नहीं बनता. इससे बिना वजह ब्लीडिंग होती है.
5वजन तेजी से कम होना और भूख में कमी
जब शरीर किसी बीमारी से अंदर ही अंदर लड़ रहा होता है तो भूख खत्म हो जाती है और वजन तेजी से घटने लगता है.
6 हड्डियों और जोड़ों में दर्द रहना
ब्लड कैंसर हड्डियों के अंदर की बोन मैरो को प्रभावित करता है जिससे जोड़ों और हड्डियों में दर्द बना रह सकता है.
7 गर्दन, बगल या पेट में गांठ या सूजन
लिम्फ नोड्स में सूजन आना या गांठ जैसा महसूस होना भी ल्यूकेमिया या लिंफोमा जैसी ब्लड कैंसर की निशानी हो सकती है.
किन लोगों को ब्लड कैंसर का खतरा ज्यादा होता है?
– जिनके परिवार में पहले किसी को ब्लड कैंसर रहा हो (जेनेटिक कारण)
– जो रेडिएशन या केमिकल्स के संपर्क में रहते हैं, जैसे फैक्ट्री वर्कर्स या कीमोथेरेपी के मरीज
– जिन्हें पहले कोई ऑटोइम्यून बीमारी रही हो जैसे रुमेटाइड आर्थराइटिस या HIV
– जिन्होंने बहुत लंबे समय तक कीटनाशकों, पेंट या बेंजीन जैसे केमिकल्स के साथ काम किया हो
– स्मोकिंग करने वालों में भी रिस्क ज्यादा होता है, क्योंकि इससे रक्त कोशिकाएं प्रभावित होती हैं