BRICS ने की ईरान में इजराइली हमले की निंदा, टैरिफ पर भी जताई चिंता
TV9 Bharatvarsh July 07, 2025 12:42 PM

ब्राजील में रविवार को दो दिवसीय ब्रिक्स सम्मेलन में कई वैश्विक मुद्दों पर चर्चा हुई. इस दौरान ब्रिक्स देशों ने ईरान हमले और व्यापार शुल्क (टैरिफ) की निंदा की. हालांकि इस दौरान अमेरिका और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम नहीं लिया गया. इसके साथ ही ब्रिक्स के नेताओं ने अपने साझा बयान में मिडिल ईस्ट में तनाव पर भी चिंता जाहिर की. बता दें कि ब्रिक्स पांच देशों के समूह में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका जैसे देश शामिल हैं.

दरअसल 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के संयुक्त घोषणापत्र में कहा गया है कि हम 13 जून से ईरान के खिलाफ सैन्य हमलों की निंदा करते हैं, जो अंतर्राष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र के चार्टर का उल्लंघन है. साथ ही ब्रिक्स नेताओं ने मिडिल ईस्ट में सुरक्षा स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की.

अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन

ब्रिक्स नेताओं ने कहा कि हम अंतर्राष्ट्रीय कानून और IAEA के प्रस्तावों का उल्लंघन करते हुए अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के सुरक्षा उपायों के तहत नागरिक बुनियादी ढांचे और शांतिपूर्ण परमाणु सुविधाओं पर जानबूझकर किए गए हमलों पर भी गंभीर चिंता व्यक्त करते हैं. लोगों और पर्यावरण को नुकसान से बचाने के लिए संघर्षों समेत परमाणु सुरक्षा को हमेशा बनाए रखा जाना चाहिए.

संघर्ष और अस्थिरता पर जताई चिंता

संयुक्त घोषणापत्र में ब्रिक्स नेताओं ने कहा कि हम यूक्रेन में संघर्ष के संबंध में अपने रुख को याद करते हैं, जैसा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र महासभा समेत कई मंचों पर व्यक्त किया गया है. हम उम्मीद करते हैं कि वर्तमान प्रयासों से एक स्थायी शांति समझौता होगा. इसके साथ ही उन्होंने मिडिल ईस्ट और उत्तरी अफ्रीका (एमईएनए) क्षेत्र में जारी संघर्ष और अस्थिरता पर चिंता जताई.

टैरिफ नीति की आलोचना

बता दें कि ब्रिक्स देशों ने अमेरिका का नाम नहीं लिया, लेकिन उन्होंने कहा कि बढ़ते टैरिफ से वैश्विक व्यापार पर बुरा असर पड़ रहा है, जो डब्ल्यूटीओ के नियमों के खिलाफ है. ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने नाटो की तरफ से सैन्य खर्च बढ़ाने के फैसले की निंदा की. उन्होंने कहा कि युद्ध में निवेश करना हमेशा आसान होता है.

ईरानी विदेश मंत्री ने दी चेतावनी

ब्रिक्स सम्मेलन में ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकीन नहीं पहुंच सके, लेकिन उनके विदेश मंत्री अब्बास अराघची इसमें शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने कहा कि अमेरिका और इजराइल को ईरान पर हमलों के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा इस जंग का असर सिर्फ एक देश तक सीमित नहीं रहेगा. इसके साथ ही ब्रिक्स नेताओं ने गाजा की स्थिति पर भी चिंता जताई.

दो बड़े नेताओं ने ब्रिक्स से बनाई दूरी

इस बार के ब्रिक्स सम्मेलन में दो बड़े नेता नहीं पहुंचे. जिसमें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पहली बार इस सम्मेलन में नहीं आए. वहीं रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए ही इसमें हिस्सा लिया. बता दें कि पुतिन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट जारी है.

मजबूत वैश्विक नेतृत्व पर उठे सवाल

ब्रिक्स में इस बार इंडोनेशिया, ईरान, मिस्र, इथियोपिया और यूएई जैसे नए मेंबर भी शामिल हो गए हैं. इसके अलावा बेलारूस, क्यूबा और वियतनाम जैसे 10 रणनीतिक साझेदार भी हैं. लेकिन, विशेषज्ञों का मानना है कि नए सदस्यों के शामिल होने के बावजूद ब्रिक्स खुद को एक मजबूत वैश्विक नेतृत्व के रूप में पेश नहीं कर पा रहा है. वहीं कई देशों के नेताओं के नहीं आने पर इसकी एकजुटता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.

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