नई दिल्ली: बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने 1984 के स्वर्ण मंदिर हमले को लेकर एक चौंकाने वाला बयान दिया है। उनका कहना है कि उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ब्रिटेन के सहयोग से स्वर्ण मंदिर पर हमला किया था।
दुबे ने अपने एक्स हैंडल पर गृह सचिव की एक कथित रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए लिखा, "1984 में स्वर्ण मंदिर पर हमला ब्रिटेन के साथ मिलकर किया गया था। ब्रिटिश सेना के अधिकारी अमृतसर में मौजूद थे। कांग्रेस के लिए सिख समुदाय केवल एक खिलौना है।"
उन्होंने यह भी कहा कि 1960 में करतारपुर साहिब को पाकिस्तान को सौंपने का समझौता सरदार स्वर्ण सिंह ने किया था। इसके अलावा, 1984 में सिखों के कत्लेआम को छुपाने के लिए वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं को बचाया गया और 2004 में मनमोहन सिंह को "कठपुतली प्रधानमंत्री" बनाया गया।
भाजपा ने गृह सचिव की एक गोपनीय चिट्ठी साझा की, जिसमें यह दावा किया गया है कि भारतीय अधिकारियों ने स्वर्ण मंदिर से सिख चरमपंथियों को हटाने के लिए ब्रिटेन से सलाह मांगी थी।
यह पत्र विदेश एवं राष्ट्रमंडल कार्यालय के निजी सचिव ब्रायन फॉल द्वारा तत्कालीन गृह सचिव के निजी सचिव ह्यूग टेलर को लिखा गया था।
इस पत्र के माध्यम से दुबे ने अपने दावे को मजबूत किया है। इसमें उल्लेख है कि विदेश सचिव ने इस अनुरोध पर सहमति दी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री की मंजूरी से एक शिरोमणि अकाली दल के अधिकारी ने भारत का दौरा किया। इस अधिकारी ने एक योजना बनाई, जिसे इंदिरा गांधी ने मंजूरी दी। योजना को जल्द लागू करने की संभावना थी।
पत्र में यह भी कहा गया है कि स्वर्ण मंदिर में इस कार्रवाई से पंजाब में सांप्रदायिक हिंसा भड़क सकती थी, जिससे भारत और ब्रिटेन में सिख समुदाय के बीच तनाव बढ़ने का खतरा था। इसलिए, इस जानकारी को गोपनीय रखा गया। विदेश सचिव ने इसे सीमित लोगों तक रखने की सलाह दी थी।
इस पत्र की एक प्रति 10 डाउनिंग स्ट्रीट, रक्षा मंत्रालय और कैबिनेट कार्यालय को भेजी गई थी।