सबसे महंगा आम: हरियाणा के कुरुक्षेत्र में चल रहे फ्रूट फेस्टिवल में इस बार दुनिया का सबसे महंगा आम ‘मियाजाकी’ लोगों की निगाहों का केंद्र बना हुआ है. इसका गहरा लाल रंग, बेहद मीठा स्वाद, और हैरान कर देने वाली कीमत इसे खास बनाते हैं. इसे देखने और चखने के लिए बड़ी संख्या में लोग फेस्टिवल में पहुंच रहे हैं.
क्या है मियाजाकी आम की खासियत?
मियाजाकी आम, जिसे ‘एग ऑफ द सन’ (Egg of the Sun) भी कहा जाता है, मूल रूप से जापान के मियाजाकी क्षेत्र में उगाया जाता है.
- इसकी कीमत भारत में ₹50,000 से ₹70,000 प्रति किलो है.
- जापान और दुबई जैसे देशों में यह आम ₹2.5 लाख से ₹3 लाख प्रति किलो तक बिकता है.
- स्वाद के साथ-साथ यह आम सेहत के लिहाज़ से भी बेजोड़ है.
फल नहीं, दवा है ये आम! जानिए स्वास्थ्य लाभ
एक रिसर्च के अनुसार, मियाजाकी आम में मौजूद पोषक तत्व
- कैंसर सेल्स की वृद्धि को रोकने में मदद करते हैं.
- यह इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाता है.
- यही वजह है कि इसे “फल नहीं, बल्कि दवा” कहा जाता है.
हरियाणा में भी शुरू हुई मियाजाकी आम की खेती
इस दुर्लभ आम की लोकप्रियता को देखते हुए, हरियाणा के लाडवा स्थित इंडो-इजराइल सब-ट्रॉपिकल सेंटर में भी मियाजाकी आम का एक पौधा लगाया गया है.
- सेंटर ने इसे “भविष्य का फल” मानते हुए इस पर रिसर्च शुरू की है.
- खुशखबरी यह है कि इस साल पौधे पर पहली बार फल भी लग चुके हैं, जिससे राज्य के किसानों में उत्साह है.
- फेस्टिवल में थाई मैंगो और देसी सीवर भी छाए
फ्रूट फेस्टिवल में थाई मैंगो (बॉम्बे ग्रीन) और मैंगो ग्रेप्स (देसी सीवर) जैसे अनोखे किस्मों ने भी लोगों का ध्यान खींचा है.
- थाई मैंगो का वजन 1 किलो से अधिक होता है, जो इसे आकार में सबसे बड़ा आम बनाता है.
- वहीं, मैंगो ग्रेप्स केवल 2 से 2.5 इंच के आकार का होता है, जो आकार में सबसे छोटा आम है.
- ये दोनों किस्में दक्षिण भारत की देन हैं और किसानों की नवाचार क्षमता को दर्शाती हैं.
बढ़ती लोकप्रियता के पीछे है स्वाद और विशेषता का मेल
मियाजाकी आम की बढ़ती डिमांड और उच्च मूल्य इसके गुणवत्ता, स्वाद और पोषण का प्रमाण हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि भारत जैसे फल प्रेमी देश में इस आम की खेती नया बाजार और अवसर खोल सकती है.
देश में हो सकती है मियाजाकी आम की खेती का विस्तार
हरियाणा में इसकी सफल शुरुआत को देखते हुए, अन्य राज्यों में भी इस आम की खेती को बढ़ावा देने की योजना बन सकती है. विशेषज्ञ इसे उच्च मूल्य वाली खेती (high-value farming) के रूप में देख रहे हैं, जिससे किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सकती है.