रविवार को देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु संसार की जिम्मेदारी भोलेनाथ को सौंपकर योग निद्रा में चले गए हैं। इसके चलते 118 दिन तक शुभ व मांगलिक कार्य नहीं किए जाएंगे। सावन की शुरुआत 2 नवंबर को देवउठनी एकादशी से होगी, लेकिन फिर 20 दिन तक शुभ कार्य बंद रहेंगे। देवशयनी के आखिरी सावन पर रविवार को विवाह के साथ ही कई शुभ व मांगलिक कार्य किए गए। हालांकि बरसात का मौसम होने के कारण इनकी संख्या काफी कम रही। खासकर शहरी क्षेत्र में कुछ जगहों पर विवाह होते नजर आए।
अब इन कार्यों पर रहेगी रोक
देवशयनी एकादशी के बाद विवाह, चूड़ाकर्म, गृह प्रवेश, मुंडन, कुआं पूजन, नींव मुहूर्त, यज्ञोपवीत, नए प्रतिष्ठान का उद्घाटन समेत सभी तरह के शुभ कार्य वर्जित हैं। इस दौरान सिंजारा, तीज, रक्षाबंधन समेत कई त्योहार आएंगे।
मंदिरों में सजाई गई विशेष झांकियां
देवउठनी एकादशी पर मंदिरों में भी विशेष आयोजन हुए। यहां ठाकुरजी को शयन कराया गया। इस दौरान उन्हें कई व्यंजनों का भोग भी लगाया गया। शहर में कई धार्मिक आयोजन भी हुए। वहीं अबूझ मुहूर्त होने के कारण कई शुभ व मांगलिक कार्य भी किए गए। चार माह का अवकाश होने जा रहा है, इसलिए लोगों ने घर के कामों के लिए भी मुहूर्त निकलवाए। कई घरों में चूड़ाकर्म कार्यक्रम भी हुए।
नवंबर में होंगे आठ सावे
देवउठनी एकादशी पर विवाह के लिए अबूझ सावे रहेंगे। इसके बाद सूर्य के वृश्चिक राशि में प्रवेश करने के बाद 20 दिन के लिए फिर से शुभ कार्य बंद हो जाएंगे। इसके बाद 22 नवंबर से मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। नवंबर में 2, 22, 23, 24, 25, 27, 29 व 30 तथा दिसंबर में 4, 5, 11 को सावा रहेगा। इसके बाद मलमास लगने के कारण विवाह व अन्य मांगलिक कार्य नहीं हो सकेंगे। देवशयनी एकादशी पर तीर्थ स्नान का विशेष महत्व है।
इसके चलते जिले भर से सैकड़ों लोगों ने हरिद्वार व अन्य तीर्थ स्थानों पर जाकर स्नान किया। वहां गरीबों को भोजन भी कराया। इस समय बड़ी संख्या में लोग चार धाम यात्रा पर भी गए हैं। कुछ लोगों ने घर पर ही स्नान के पानी में तीर्थ का जल मिलाकर पुण्य कमाया। वहीं शहर में लोगों ने खूब दान भी किया। एकादशी व्रत भी रखा गया।