Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन भाई-बहन के अटूट प्रेम, सुरक्षा और वचन का प्रतीक पर्व है. इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं, जबकि भाई जीवनभर रक्षा करने का वादा करते हैं. यह त्योहार सावन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है और पूरे भारत में उत्साहपूर्वक मनाया जाता है.
सावन की पूर्णिमा तिथि इस वर्ष 8 अगस्त 2025 की दोपहर 2:12 बजे से शुरू होकर 9 अगस्त को दोपहर 1:21 बजे तक रहेगी. हिंदू पंचांग के अनुसार उदया तिथि को मान्यता दी जाती है, इसलिए इस बार रक्षाबंधन शनिवार, 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा.
इस समय राखी बांधना अत्यंत शुभ माना गया है और यह अवधि भद्रा दोष से मुक्त है, इसलिए भाई की कलाई सजाने का यह सर्वश्रेष्ठ समय होगा.
रक्षाबंधन का त्योहार न सिर्फ राखी बांधने का मौका है, बल्कि यह प्रेम, समर्पण और सुरक्षा के वादे का पर्व भी है. माना जाता है कि इस दिन राखी बांधने से दोनों की आयु लंबी होती है और रिश्ते में अधिक मजबूती आती है. यह त्योहार संस्कारों, परंपरा और आत्मीयता का प्रतीक है.
रक्षाबंधन की शुरुआत का उल्लेख महाभारत काल में मिलता है. जब भगवान श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध किया, तब उनकी उंगली से खून बहने लगा. यह देखकर द्रौपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर श्रीकृष्ण की उंगली पर बांध दिया. श्रीकृष्ण ने तब वचन दिया कि वे सदैव द्रौपदी की रक्षा करेंगे.
इसी वचन के पालन के तहत द्रौपदी के चीरहरण के समय श्रीकृष्ण ने चमत्कारी रूप से उसकी लाज बचाई थी. इसी घटना को रक्षासूत्र परंपरा की नींव माना जाता है.
पूजा की थाली में इन वस्तुओं का होना है जरूरी
राखी बांधते समय तिलक की थाली में यह सामग्री रखना आवश्यक है:
इस थाली से तिलक करके, राखी बांधने की परंपरा निभाई जाती है. इससे पूजा विधि पूर्ण होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.