अक्सर जो हमारे सामने होता है, वो दिखता नहीं. और, जो दिखता है, वैसा दरअसल होता नहीं. एजबेस्टन के हीरो आकाश दीप की कहानी भी कुछ वैसी ही है. दुनिया ने आकाश दीप को टीम इंडिया के लिए एजबेस्टन का अभेद किला भेदते देखा. उस मैदान पर इंग्लैंड का गुरूर तोड़ते देखा. मगर क्या आप जानते हैं कि जिस दिलेरी के साथ आकाश दीप ये सब कर रहे थे, उनके सीने में कितना दर्द छिपा था? लेकिन, उसे लोगों के सामने जाहिर करने के बजाए उन्होंने परफॉर्मेन्स में उतारा. और, फिर जो किया उससे रिकॉर्डों की झड़ी लगा दी. उन्होंने एजबेस्टन की ऐतिहासिक जीत में अपना नाम सुनहरे अक्षरों में लिखाया. अब दुनिया जब-जब एजबेस्टन में भारत की ऐतिहासिक जीत की बात करेगी, तब-तब उसमें आकाश दीप के लिए 10 विकेटों का जिक्र जरूर होगा.
एजबेस्टन की ऐतिहासिक जीत के नायकएजबेस्टन में भारत को मिली ऐतिहासिक जीत के आकाश दीप कितने बड़े रचयिता रहे, उस बारे में हम बात करेंगे. लेकिन उससे पहले उनकी दर्दनाक जिंदगी के पन्ने पलटना जरूरी है. आकाश दीप के लिए एक वक्त सबकुछ खत्म सा लग रहा था. जीवन में ऐसे मोड़ आए कि लगने लगा कि अब क्रिकेट करियर बनने से पहले ही खत्म हो जाएगा. लेकिन, इन सबके बीच जो एक चीज जो उन्होंने नहीं छोड़ी थी वो थी उम्मीद. वो कहते हैं ना उम्मीद पर दुनिया कायम है. आकाश दीप आज जहां खड़े हैं, उसी उम्मीद को पकड़े रखने का नतीजा है.
आकाश दीप होना नहीं आसानउम्मीद का दामन थामे आकाश दीप ने टीम इंडिया की जर्सी पहनने का अपना सपना तो साकार कर लिया. लेकिन, इस बीच उन्हें जिंदगी के कई मुश्किल हालातों से गुजरना पड़ा. आकाश दीप बिहार में सासाराम से आते हैं. उन्होंने क्रिकेटर बनने की तरफ अपने कदम बढ़ाने शुरू ही किए थे कि बिहार क्रिकेट को सस्पेंड कर दिया गया. ऐसे में उन्हें दूसरे स्टेट का रुख करना पड़ा. 2019 में उन्होंने बंगाल से घरेलू क्रिकेट में डेब्यू किया.
इस बीच आकाश दीप के पिता की सेहत बिगड़ने से उनके लिए जिंदगी उतनी भी आसान नहीं रही. उनके पिता को लकवा मार गया. उनका जिंदगी में तब और बड़ा तूफान आया जब सिर्फ 2 महीनों के भीतर उन्होंने अपने पिता और बड़े भाई दोनों को खो दिया. खुद उन्हें भी बैक इंजरी हो गई, जिससे करियर पर गहरा संकट मंडराने लगा.
लेकिन, आकाश दीप सारे दुख और दर्द सहते हुए जिंदगी में आगे बढ़ते रहे. वो हिम्मत नहीं हारे बल्कि खुद को ढाढस बंधाते हुए टीम इंडिया के लिए खेलने के अपने सपने को जीने लगे. आकाश दीप का वो सपना अब साकार हो चुका है. लेकिन, उनकी जिंदगी से मुसीबतें अब भी खत्म नहीं हुई हैं. हाल ही में आकाश दीप की बड़ी बहन को कैंसर है, उसका पता चला है. इस बारे में आकाश दीप ने खुद भी एजबेस्टन टेस्ट जीतने के बाद बताया है. उन्होंने एजबेस्टन के अपने प्रदर्शन को कैंसर का सामना कर रही अपनी बहन को डेडिकेट किया है.
आकाश दीप के 10 का दम, 49 साल बाद हुआ ऐसाएजबेस्टन में आकाश दीप ने किया क्या? उन्होंने इंग्लैंड का गुरूर कैसे तोड़ा? अगर ये जानना हो तो आप उनके वहां बनाए रिकॉर्डों पर गौर कर सकते हैं. आकाश दीप ने 187 रन देकर एजबेस्टन में 10 विकेट उखाड़े, जो कि किसी भी भारतीय गेंदबाज का एक टेस्ट में वहां बेस्ट प्रदर्शन है. इस मामले में उन्होंने चेतन शर्मा का 1986 में बनाया रिकॉर्ड तोड़ा है. एजबेस्टन टेस्ट की पहली पारी में आकाश दीप ने 4 विकेट, जबकि दूसरी पारी में 6 विकेट लिए थे. ये पहली बार है, जब उन्होंने अपने टेस्ट करियर में 5 या उससे ज्यादा विकेट लिए हैं.
एजबेस्टन टेस्ट की दूसरी पारी में 6 विकेट लेने के दौरान उन्होंने उसमें टॉप के 4 विकेट बिना किसी खिलाड़ी की मदद लिए झटके थे. मतलब या तो वो विकेट उन्होंने बल्लेबाज को बोल्ड कर लिए या उन्हें LBW करके.
इतना ही नहीं इंग्लैंड में खेले एक टेस्ट की दोनों पारियों में 4 या उससे ज्यादा विकेट लेने वाले वो भारत के 5वें गेंदबाज हैं. उनसे पहले चेतन शर्मा, जहीर खान, जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज भी ये कमाल कर चुके हैं.
एजबेस्टन टेस्ट में आकाश दीप को जसप्रीत बुमराह की जगह मौका मिला था. इस मौके को तो उन्होंने दोनों हाथों से लपका ही है, साथ ही इस बात पर भी मुहर लगा दी है कि अब बाकी बचे 3 टेस्ट में भी उनकी जगह लगभग पक्की है.