बच्चे को बोतल से दूध पिलाना बन सकता है खतरा — कम उम्र में हो सकती हैं ये 5 खतरनाक बीमारियां..
Newshimachali Hindi July 09, 2025 10:42 AM


शिशु के जन्म के बाद मां के दूध को सबसे पौष्टिक और अमृत के समान माना जाता है. यह न केवल बच्चे की शारीरिक वृद्धि में मदद करता है, बल्कि उसकी इम्यूनिटी को भी मजबूत करता है. ज्यादातर पेरेंट्स का यही मानना होता है कि बच्चा जितना अधिक मां का दूध पिएगा, उतना ही उसका विकास बेहतर होगा और बीमारियों का खतरा भी कम होगा.

हालांकि, आजकल की व्यस्त जीवनशैली में कई बार कामकाजी मां के लिए बच्चे को लगातार स्तनपान कराना संभव नहीं होता. ऐसे में, वे बच्चे को बोतल से दूध पिलाने का विकल्प चुनती हैं. लेकिन क्या यह सही है? और यदि ऐसा किया जाए तो कितनी उम्र के बाद बोतल से दूध पिलाना स्वास्थ्य के लिहाज से बेहतर होता है? इन सवालों के जवाब जानना बहुत जरूरी है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिश

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, नवजात शिशु को पहले छह महीनों तक केवल मां का दूध ही दिया जाना चाहिए। यह बच्चों के विकास, शारीरिक मजबूती और इम्यूनिटी के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यदि किसी विशेष कारणवश मां का दूध कम हो और छह महीने तक स्तनपान कराना संभव न हो, तो ऐसे में डॉ. WHO के अनुसार, बच्चे को जन्म के दो या तीन सप्ताह बाद बोतल से दूध देना शुरू किया जा सकता है। हालांकि, यह एक अस्थायी उपाय होना चाहिए और जितना संभव हो सके मां का दूध पिलाना जारी रखना चाहिए।

बोतल फीडिंग के नुकसान

इम्यूनिटी कमजोर होना

मां का दूध शिशु के इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है, लेकिन जब बच्चा मां के दूध की जगह बोतल से दूध पीता है, तो उसकी इम्यूनिटी में कमी आ सकती है. ऐसे बच्चों को बार-बार सर्दी, बुखार, खांसी जैसी बीमारियां हो सकती हैं, जो लंबे समय तक बनी रहती हैं.

मोटापा

बोतल से दूध पीने वाले शिशु में मोटापे का खतरा अधिक हो सकता है, खासकर जब वे फॉर्मूला मिल्क या जानवरों के दूध पर निर्भर होते हैं. जानवरों के दूध में फैट की अधिक मात्रा होती है, जो बच्चे के वजन को असामान्य रूप से बढ़ा सकता है.

लंग्स का कमजोर होना

रबड़ के निप्पल से दूध पीने वाले बच्चों की लंग्स उन बच्चों की तुलना में कमजोर हो सकती हैं जो स्तनपान करते हैं. इस कारण से उनका सांस संबंधी स्वास्थ्य भी प्रभावित हो सकता है.

विकास में धीमापन

बोतल से दूध पीने वाले शिशु माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क में आ सकते हैं, जो उनके शारीरिक और मानसिक विकास को धीमा कर सकते हैं. यह बच्चों के शरीर के विकास को प्रभावित कर सकता है, जिससे उनका समग्र स्वास्थ्य कमजोर हो सकता है.

बोतल फीडिंग से बचने के उपाय

यदि आप एक वर्किंग मां हैं और अपने शिशु को बोतल से दूध पिलाने के बारे में सोच रही हैं, तो यह जरूरी है कि आप इसके प्रभाव को समझें और इसके लिए कुछ उपाय अपनाएं-

पंपिंग और स्टोरिंग- आप अपने स्तनपान के दूध को पंप कर स्टोर कर सकती हैं, ताकि जब आप काम पर जाएं तो कोई और व्यक्ति बच्चे को आपका पंप किया हुआ दूध दे सके.


हाइड्रेटेड रहना- मां को पर्याप्त मात्रा में पानी और पौष्टिक आहार लेना चाहिए ताकि दूध उत्पादन में कोई कमी न हो.


बच्चे के साथ समय बिताना- काम से घर लौटने के बाद बच्चे को स्तनपान कराना जारी रखें, ताकि बच्चे को पर्याप्त पोषण मिल सके और उसका इम्यून सिस्टम मजबूत रहे.


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Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.


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