भारत की सबसे मनहूस नदी! जिसे छूते ही नष्ट हो जाते है सारे पुन्य, जानिए क्या है अशुभ मानी जाने वाली नदी का रहस्य?
Samachar Nama Hindi July 10, 2025 06:42 AM

भारत एक ऐसा देश है जहाँ नदियों को देवी मानकर पूजा जाता है, उन्हें 'माँ' कहकर संबोधित किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसी नदी भी है जिसे छूने से भी लोग डरते हैं? जी हाँ, ऐसा माना जाता है कि इस नदी के पानी को छूने से लोगों के सारे पुण्य नष्ट हो जाते हैं। इस नदी का नाम कर्मनाशा है, जो 'कर्म' और 'विनाश' दो शब्दों से मिलकर बना है।

यह नदी बिहार के कैमूर ज़िले से होकर बहती है।

ऐसा माना जाता है कि इसके पानी को छूने से व्यक्ति के सारे पुण्य नष्ट हो जाते हैं, इसीलिए इसे भारत की सबसे 'दुर्भाग्यशाली' नदी माना जाता है। कर्मनाशा नदी बिहार के कैमूर ज़िले से निकलती है और वहाँ से बहते हुए उत्तर प्रदेश के कई ज़िलों से भी होकर गुज़रती है। अपनी अनोखी और विवादास्पद पहचान के कारण यह नदी हमेशा से चर्चा का विषय रही है। इसके आसपास के लोग और सदियों पुरानी किंवदंतियाँ इसे 'शापित' मानती हैं।

क्या वाकई सारे 'पुण्य' खत्म हो जाते हैं?

इस नदी के बारे में सबसे प्रचलित मान्यता यह है कि इसके पानी को छूने से लोगों के सारे पुण्य नष्ट हो जाते हैं। यही कारण है कि लोग इसका उपयोग किसी भी काम के लिए नहीं करते, इसके पानी को छूना तो दूर की बात है। यह मान्यता इतनी गहरी है कि आज भी स्थानीय लोग इसके पानी से दूर ही रहते हैं, चाहे उन्हें कितनी भी परेशानी क्यों न हो।

कर्मनाशा नाम का अर्थ और महत्व

'कर्मनाशा' नाम ही इस नदी की पहचान बताता है। 'कर्म' का अर्थ है अच्छे या बुरे कर्म, और 'नाश' का अर्थ है विनाश। इस प्रकार इसका नाम 'कर्मों का नाश करने वाली' पड़ा, जिसका सीधा संबंध इस मान्यता से है कि यह नदी व्यक्ति द्वारा किए गए पुण्य कर्मों का नाश कर देती है।

सदियों पुरानी कहानियाँ प्रचलित हैं

कर्मनाशा नदी के बारे में कई सदियों पुरानी किंवदंतियाँ और कहानियाँ प्रचलित हैं। इन कहानियों में अक्सर किसी ऋषि या व्यक्ति द्वारा इसे दिए गए श्राप का उल्लेख मिलता है, जिसके कारण इस नदी को 'अशुभ' माना जाने लगा। ये कहानियाँ पीढ़ी-दर-पीढ़ी सुनाई जाती हैं और लोगों की आस्था को मज़बूत करती हैं।

सिंचाई या घरेलू कामों के लिए पानी का इस्तेमाल नहीं किया जाता
आमतौर पर नदियों को सिंचाई और घरेलू कामों के लिए जीवनदायिनी माना जाता है, लेकिन कर्मनाशा नदी के साथ ऐसा नहीं है। इसके पानी को छूने से बचने की मान्यता के कारण, लोग खेती या किसी अन्य घरेलू कामों के लिए इसके पानी का इस्तेमाल नहीं करते, जिससे इस क्षेत्र में एक अनोखी स्थिति पैदा हो जाती है।

लोग नदी को 'शापित' मानते हैं
हालांकि प्रचलित मान्यताएँ इस नदी को 'शापित' कहती हैं, लेकिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसकी पुष्टि नहीं होती। यह स्थिति विज्ञान और सदियों पुरानी मान्यताओं के बीच टकराव को दर्शाती है, जहाँ अक्सर आस्था तर्क पर भारी पड़ती है।

एक विशिष्ट पहचान वाली भारतीय नदी
भारत की नदियों में कर्मनाशा नदी की अपनी एक विशिष्ट और रहस्यमयी पहचान है। यह हमें याद दिलाती है कि भारत में नदियाँ केवल जलस्रोत नहीं हैं, बल्कि वे धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक मान्यताओं से भी गहराई से जुड़ी हैं, जहाँ हर नदी की अपनी कहानी और अपना महत्व है।

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